क्यों न दिवाली कुछ ऐसे मनायें
दिवाली यानी रोशनी, मिठाईयाँ, खरीददारी , खुशियाँ और वो सबकुछ जो एक बच्चे से लेकर बड़ों तक के चेहरे पर मुस्कान लेकर आती है।
प्यार और त्याग की मिट्टी से गूंथे अपने अपने घरौंदों को सजाना भाँति भाँति के पकवान बनाना नए कपड़े और पटाखों की खरीददारी !
दीपकों की रोशनी और पटाखों का शोर…
Posted on October 16, 2017 at 10:14pm — 4 Comments
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
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