For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महिलाओं के लिए ये कैसी लड़ाई जिसे महिलाओं का ही समर्थन नहीं

महिलाओं के लिए ये कैसी लड़ाई जिसे महिलाओं का ही समर्थन नहीं

मनुष्य की आस्था ही वो शक्ति होती है जो उसे विषम से विषम परिस्थितियों से लड़कर विजयश्री हासिल करने की शक्ति देती है। जब उस आस्था पर ही प्रहार करने के प्रयास किए जाते हैं, तो प्रयास्कर्ता स्वयं आग से खेल रहा होता है। क्योंकि वह यह भूल जाता है कि जिस आस्था पर वो प्रहार कर रहा है, वो शक्ति बनकर उसे ही घायल करने वाली है। पहले शनि शिंगणापुर, अब सबरीमाला। बराबरी और संविधान में प्राप्त समानता के अधिकार के नाम पर आखिर कब तक भारत की आत्मा, उसके मर्म, उसकी आस्था पर प्रहार किया जाएगा? आज सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठ रहा है कि संविधान के दायरे में बंधे हमारे माननीय न्यायालय क्या अपने फैसलों से भारत की आत्मा के साथ न्याय कर पाते हैं? क्या संविधान और लोकतंत्र का उपयोग आज केवल एक दूसरे की रक्षा के लिए ही हो रहा है? कहीं इनकी रक्षा की आड़ में भारत की संस्कृति के साथ अन्याय तो नहीं हो रहा? यह सवाल इसलिये उठ रहे हैं क्योंकि यह बेहद खेदजनक है कि पिछले कुछ समय से उस देश में महिलाओं के लिए पुरुषों के समान अधिकारों की मांग लगातार उठाई जा रही है जिस देश की संस्कृति में सृष्टि के निर्माण के मूल में स्त्री पुरूष दोनों के समान योगदान को स्वयं शिव ने अपने अर्धनारीश्वर के रूप में व्यक्त किया हो। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को संविधान से मिलने वाले उनके अधिकारों के मद्देनजर उन्हें प्रवेश देने का आदेश जारी किया। लेकिन खुद महिलाएं ही इस आदेश के खिलाफ खड़ी हो गईं। महिला अधिकारों के लिए लड़ी जाने वाली यह कौन सी लड़ाई है जिसे महिलाओं का ही समर्थन प्राप्त नहीं है? आपको याद होगा कि यह फैसला 4:1 के बहुमत से आया था जिसमें एकमात्र महिला जज इंदु मल्होत्रा ने इस फैसला का विरोध किया था। क्योंकि यह विषय कानूनी अधिकारों का नहीं बल्कि धार्मिक आस्था का है।और इसी धार्मिक आस्था पर प्रहार करने के उद्देश्य से विरोधी ताकतों द्वारा जानबूझकर इस मुद्दे को संवैधानिक अधिकारों के नाम पर विवादित करने का कृत्य किया गया है। क्योंकि वे भलीभाँति जानते हैं कि विश्व के किसी भी कानून में इस विवाद का हल नहीं मिलेगा। क्योंकि व्यक्ति में अगर श्रद्धा और आस्था है, तो गंगा का जल "गंगा जल" है नहीं तो बहता पानी। इसी प्रकार वो एक मनुष्य की आस्था ही है जो पत्थर में भगवान को देखती भी है और पूजती भी है। लेकिन क्या दुनिया का कोई संविधान या कानून उस जल में गंगा मैया के आस्तित्व को या फिर उस पत्थर में ईश्वर की सत्ता को सिद्द कर सकता है? यही कारण है कि न्यायालय के इस फैसले को उन्ही महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिनके हक में उसने फैसला सुनाया है। शायद इसीलिए कोर्ट के इस आदेश से प्रशासन के लिए भी बड़ी ही विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है क्योंकि मंदिर में वो ही औरतें प्रवेश चाहती हैं जिनकी न तो अय्यपा में आस्था है ना ही सालों पुरानी इस मंदिर की परंपरा में।जबकि जो महिलाएं अय्यपा के प्रति श्रद्धा रखती हैं, वो कोर्ट के आदेश के बावजूद ना तो खुद मंदिर में जाना चाहती हैं और न ही किसी और महिला को जाने देना चाहती हैं। तो यह महिलाओं का कौन सा वर्ग है जो अपने संवैधानिक अधिकारों के नाम पर मंदिर में प्रवेश की अनुमति चाहता है इस बात को समझने के लिए आप खुद ही समझदार हैं। अगर इसे अर्बन नक्सलवाद का ही एक रूप कहा जाय तो भी गलत नहीं होगा। क्योंकि यह पहला मौका नहीं है जब मन्दिर पर हमला किया गया हो।हाँ, लेकिन इसे पहला बौद्धिक हमला अवश्य कहा जा सकता है क्योंकि इसमें मंदिर के भौतिक स्वरूप को हानी पहुचाने के बजाय लोगों की सोच, उनकी आस्था पर प्रहार करने का दुस्साहस किया गया है। इससे पहले 1950 में मंदिर को जलाने का प्रयास किया गया था।और 2016 की दिसम्बर में मंदिर के पास 360 किलो विस्फोटक पाया गया था। आशंका है कि यह विस्फोटक सामग्री 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने के लिए लाई गई थी लेकिन प्रशासन और स्थानीय लोगों की जागरूकता से अनहोनी होने से बच गई और यह देश विरोधी ताकतें अपने लक्ष्य में नाकामयाब रहीं। जब इन लोगों की इस प्रकार की गैरकानूनी कोशिशें बेकार हो गईं तो इन्होंने कानून का ही सहारा लेकर अपने मंसूबों को अंजाम देने के प्रयास शुरू कर दिए। वैसे इनकी हिम्मत की दाद देनी चाहिए कि अपनी देश विरोधी गतिविधियों के लिए ये देश के ही संविधान का उपयोग करने का प्रयत्न कर रहे हैं। लेकिन ये लोग यह भूल रहे हैं कि जिस देश की संस्कृति का परचम पूरे विश्व में लगभग 1200 साल की ग़ुलामी के बाद आज भी गर्व से लहेरा रहा है, उस देश की आस्था को कानून के दायरे में कैद करना असंभव है। यह साबित कर दिया है केरल की महिलाओं ने जो कोर्ट के फैसले के सामने दीवार बनकर खड़ी हैं।

डॉ नीलम महेंद्र

 "मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 306

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया ऋचा जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
39 seconds ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज कपूर सर, ग़ज़ल आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत शुक्रिया, वाकई ग़ज़ल में सुधार की…"
1 minute ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत  खुबसूरत ग़ज़ल हुई है। बहुत अच्छे मयारी शेर कहे हैं आपने।"
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत गूढ़ गजल हुई है । विचार, तथ्य और शब्दों का चयन बहुत कुछ सीखने को…"
9 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गजेन्द्र श्रोत्रिय जी, ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया"
9 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय जी ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया।"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, ग़ज़ल में उपस्थिति और उत्साहवर्धक शब्दों के लिए हार्दिक आभार। ग़ज़ल में…"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई शिज्जू जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अच्छे अश'आर  हुए हैं आदरणीय, परन्तु  सचिन, रोहित, विराट इत्यादि से हमेशा शतक की ही…"
22 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शानदार हुई है ग़ज़ल। गिरह का शेर भी खूबसूरती से बंधा है। बधाई स्वीकार करें। अभी मोबाइल पर हूं। फिर…"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
37 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service