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प्रिय मित्रो,

एक प्रस्ताव है, आपकी क्या राय है? हो सकता है कि निम्न भारत में अब हो भी रहा हो, यदि हाँ तो मैं इस प्रस्ताव के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

 

 

कैसा रहे कि प्रत्येक गाँव में एक FOOD BANK स्थापित किया जाए, जिसके कार्यकर्ता गाँव के ही लोग हों। इस बैंक में खाने का सामान इक्ठ्ठा किया जाय ( कुछ दालें, घी, canned food, etc) जो कि उसी गाँव के लोगों की ओर से दान हो।  ज़रूरत के समय, गाँव के लोग इस bank में से अनाज/खाना  उधार ले सकें, और ३ से ६ मास में आमदनी होने पर (बिना ब्याज के) वापस करने का प्रण करें।

 

गाँव के मंदिर में जो मूर्तिओं पर पैसा चढ़ाया जा रहा है, उसका आधा सभी Food Bank को दें। इस बैंक के अधिकारी हर ३ मास बाद बदले जाएँ। शायद कुछ आर्थिक सहायता सरकार से अथवा बिरला/ दालमिया जैसे लोगों से या मंदिरों से भी मिल सके। यह बैंक स्वत: नियामक हो, आत्म-निर्भर हो और गाँव के लोगों को आत्म सम्मान और स्वाभिमान दे।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

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Replies to This Discussion

आदरणीय ऐसी कोई भी व्यवस्था भारत में है,ऐसा मेरे संज्ञान में तो नहीं है।
आपका विचार विचारणीय है,यदि ऐसी व्यवस्था हो जाए तो शायद गाँव में जो रोज कई परिवार भूंखे ही सो जाते हैं उसका कुछ समाधान हो सकता है।
लेकिन एक निवेदन यह करना चाहूंगी आज हमारे भारत में भी लोभ इतनी चरम सीमा को छू रहा है कि व्यक्ति की सोंच 'स्वयं' से उबर ही नहीं पाती,मन्दिर और धार्मिक स्थलों में दान देने का प्रयोजन उनकी स्वयं की उन्नति होता है,और व्यक्ति विशेष में पमात्म-दर्शन कर पाना तो आज.कदाचित् बड़ा मुश्किल है आदरणीय!
दूसरी बात यह कि गाँवों में इतनी गरीबी व्याप्त ही नहीं,बढती जा रही है(क्योंकि सरकार जनित योजनाएं/सुविधाएं समृद्ध जनों का ग्रास बन रहीं हैं) कि गरीबों को उस बैंक को लौटा पाना इतना आसान नहीं होगा,बेचारे एक दिन की तिहाड़ी से एक दिन ही निपट पाता है।तिहाड़ी नहीं तो भोजन में नहीं,ऐसा हाल है भारत के कुछ गाँवों का।इसपर अपनी राय दें महोदय।
सादर

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