-:क्यों:-
उलझाना क्यों -
उन सवालों पर
जो अपने वश में नहीं
छोड़ दो ऊपर वाले के लिए .....
टकराना क्यों -
तूफानी हवाओं से
झुक जाना है बेहतर
सरल जिंदगी के लिए.....
उदासी क्यों -
क्षणिक बिखराव में
जिंदगी बनी है
संवरने / संवारने के लिए.....
घबराना क्यों -
बैठकर किनारे
नदी की उफनती धारा से
यही सहायक पार करने के लिए .....
डरना क्यों -
अन्धेरी रातों में
सुबह की सुनहरी धूप
है इसे दूर भागने के लिए.....
निराशा क्यों -
अनायास विपत्ति से
अंतस सक्षम है खुद में
डटकर लड़ने के लिए.....
संशय क्यों -
स्वयं की क्षमता पर
पूर्ण है ह्रदय ईश्वरत्व से
हौंसला देने के लिए .....
मायूसी क्यों -
पतझड़ आने पर
है शुभ संकेत बसंत का
उपवन में बहार लाने के लिए .....
रुकना क्यों -
थककर जीवन में
पथ प्रशस्त है आगे
सुखद मंजिल के लिए .....
हतोत्साहित क्यों -
विपरीत परिस्थितियों में
“निर्भीक” बन जीना है
जीवन है मुस्कराने के लिए .....
प्रकाश यादव “निर्भीक”
पटना – 01.06.2017
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