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केशव
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केशव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117
"रोटी राम के नाम पे माँगी हुई रोटी भोले भालों से चुराई हुई रोटी लाठी के ज़ोर पे छीनी हुई रोटी मीठी है खुद की कमाई हुई रोटी । गरम गरम सेंकी हुई रोटी अच्छी भली फेकी हुई रोटी प्यारी है रात की बचाई हुई रोटी। महलों मे मख्खन लगाई हुई रोटी होटल की प्लेट…"
Jul 12, 2020
केशव replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-108 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. सतविन्द्र कुमार राणा जी अपने देशी अंदाज में कहूँ तो 'बवाल लिखा  है", शानदार भाव और सुन्दर शिल्प का परिचय दे रह है आपकी ये रचना  "उनके भी कुछ काम, नहीं क्यों आते पत्थर?" दिल को छू गई। "
Apr 18, 2020
केशव replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-108 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद देश हमारा लड़ रहा, कोरोना से जंग ।पुलिस डॉक्टर हैं अगुआ, देश खड़ा है संग।।देश खड़ा है संग, बड़ी मुश्किल है आईहो जाओ तैयार, काल की कड़ी चढ़ाई।डूब रहा व्यापार, सभी का राम सहारा।कर विज्ञान प्रसार , लड़ेगा देश हमारा।। मौलिक व…"
Apr 18, 2020
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चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Apr 18, 2020
केशव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-114
"**ढूंढिए हर हाल मेंउम्मीद की किरण**  बहुत शानदार रचना आदरणीय गिरिधर सिंह जी। "
Apr 12, 2020
केशव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-114
"तुकांत कविता  उम्मीद की किरण मोती मोती मोती मन मोती रे छोटी मोटी बातें रहें होती रे। सुख दुःख आते जाते, काहे रोती रे? मोती मोती मोती मन मोती रे। जहर ये जीना है चैन जख्मों ने छीना है जानो ज़ख्म जिसे वही है जीवन की ज्योति रे। मोती मोती मोती मन…"
Apr 11, 2020
केशव replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" स्वर्ण जयंती अंक-50
"संभ्रांत लोग ( दूसरी प्रस्तुति) बिहार में दो तरह के लोग ही आम बोलचाल में खड़ी हिंदी बोलते है| एक तो दिल्ली पंजाब से लौटे मज़दूर, जिनकी पेट की आग ने उनकी बोली, संस्कृति उनसे  छीन ली है | दूसरे वो तथाकथित संभ्रांत लोग, जिनको अपनी बोली या संस्कृति…"
May 31, 2019
केशव replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" स्वर्ण जयंती अंक-50
"बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपकी टिप्पणी मेरे जैसे नौसिखिये के लिए बहुत ही उत्साहवर्द्धक है|  आप कहानी में इतने सरे पहलू देख पाए ये आपकी महानता है | प्रथम प्रयास था गलतियों के लिए क्षमा चाहता हूँ |  "
May 30, 2019
केशव replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" स्वर्ण जयंती अंक-50
"चरित्रहीन "इस कॉलेज की सभी लड़कियां  चरित्रहीन हैं।" "मुझे तो आप चरित्रहीन लगते हैं, आप यँहा चाय बेचते हैं या लड़कियों को देखते हैं।" 'देखते थोड़े न हैं दिख जाती है, आँख तो नहीं मूंद सकते।" "दिख जाती हैं का…"
May 30, 2019

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At 5:21pm on May 17, 2025, Erica Woodward said…

I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com)Thanks.

 
 
 

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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
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"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
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"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
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"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
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Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
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"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
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