For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Tanweer
Share on Facebook MySpace
 

Tanweer's Page

Latest Activity

Tanweer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"acchi ghazal hai. bahut mubarak"
Oct 26, 2019
Tanweer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"nadir sb. bahut mubarakbaad.poori taraash kharaash ke saath saaf suthri ghazak kahi hai. wah."
Oct 25, 2019
Tanweer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"wah. bahut mubarak"
Oct 25, 2019
Tanweer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"मेरे वजूद से उसे इन्कार भी नहीकैसी है ये अदा कभी इज़हार भी नही हैं मरहले ये इश्क़ के, उनके ख़याल मेंआता हूँ बार बार के बेज़ार भी नही क्या मुझ को ले के जाएगा उस पार है पता ?मझधार में है कश्ती के पतवार भी नही है यह अजीब बात मगर देखिए के सचआज़ाद भी नही…"
Oct 25, 2019
Tanweer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-111
"जनाब क़मर जौनपुरी साहब बेहतरीन पेशकश  के लिए ढेरों मुबारकबाद आपको .... "
Sep 28, 2019
Tanweer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-111
"ये होना जैसे शबनम के फना होने से पहले था मेरा खोया हुआ सब कुछ तेरा होने से पहले था   किसी के ज़ेहन में गोते लगाता था यूँ ही बरबस नया हर सच किताबों में लिखा होने से पहले था   हर इक लम्हा बदलता है तवाजुन जिस को कहते हैं मेरा क्या था जो मुझ से…"
Sep 28, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Bilaspur
Native Place
Bilaspur
Profession
Govt. Employee

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 5:24pm on May 17, 2025, Erica said…

I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com)Thanks.

Tanweer's Blog

तरही ग़ज़ल (मुझको ये भी न था मालूम किधर जाना था)

अपने ही छाँव तले मुझ को गुज़र जाना था 

आग फैली थी हर इक सिम्त मगर जाना था 

 

कितनी रानाइयाँ सज धज थी तेरी महफ़िल में 

बेसरापा मुझे अनजान शहर जाना था

 

है नई रस्म यहाँ हाकिम ए दौरां की यूँ 

नातवां हो के तेरे दर से गुज़र जाना था 

 

राज़ क्या क्या थे निहाँ वक़्त के साये में मगर

छेड़ कर तान वही फिर से बिखर जाना था 

 

बैठ कर शीश महल से जो न देखा तुमने

आग का गोला था जिस को के शरर जाना था 

 

हाल अपना…

Continue

Posted on February 26, 2019 at 6:52pm — 8 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
19 hours ago
ajay sharma shared a profile on Facebook
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service