सौ बार जनम दे मां मुझको, सौ बार तुझी पर मरना है,
सौ बार ये तूफां आने दे, बाहों में इसको भरना है,
ख्वाब है मेरा मां तुझपर सौ बार लुटानी हैं सांसे,
सौ बार तेरी गोदी में सोकर फख्र खुदी पर करना है,
जमती अन्तिम सांस ने जब ये शेरों की मानिन्द कहा,
तब वीरों के इस जज्बे को हर दुश्मन ने जय हिंद कहा ll
जो तूफां की सरशैया पर हंसते-हंसते लेटा हो,
हंसकर उसकी मां बोली हर मां का ऐसा बेटा हो,
फख्र है मुझको जाते-जाते सियाचीन की गोद भर गया,
खाली मेरी गोद नहीं…
Added by Er Anand Sagar Pandey on February 12, 2016 at 11:00am — 8 Comments
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