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Chouthmal jain's Blog – February 2014 Archive (2)

एक कवि की पाती वीर जवानों के नाम

एक पुरानी रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ ,इस  रचना का जन्म उस समय हुआ जब कारगिल में युद्ध चल रहा था |

" एक कवि की पाती वीर जवानों के नाम "



देश के वीर जवानों प्यारे , मेरी पाती नाम तुम्हारे |

नहीं पहुँचती कलाम ये मेरी , वहाँ खड़ी बन्दूक तुम्हारी ||

नहीं लिखी है ये शाही से , लिखी गई है जिगर लहू से |

जमी हमारी है ये थाती , हो इस दीपक की तुम बाती ||

देश के दुश्मन आए तो , खून उनका तुम बहा देना |

गोली आए दुश्मन की तो , छाती मेरी भी ले लेना ||

कतरा-कतरा…

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Added by chouthmal jain on February 10, 2014 at 11:30pm — 6 Comments

"परिश्रम "

परिश्रम है पारस पत्थर , जीवन को सोना बनाता है।

मेहनत करता जो जीवन में, सबकुछ वह पा जाता है।।

परिश्रम से एक ही पल में ,भाग्य दास बन जाता है।

लक्ष्मी उसके चरण है छूती ,जो मेहनत की खाता है।।

परिश्रम के बल पे टिकी है ,ये दुनियाँ तो सारी।

मेहनत से जिसने आँख चुराई ,ठोंकर उसने खाई।।

गीता के उपदेश ने भी तो ,कर्म की रीत सिखाई।

पाया उसने सभी है जिसने ,कर्म से प्रीत लगाई।।

मेहनत जो भी करता है वो , दुःख नहीं कभी पाता है।

पत्थर खाये यदि मेहनती ,वो भी हजम कर…

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Added by chouthmal jain on February 6, 2014 at 3:00am — 3 Comments

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