Added by Mahesh Jee on March 29, 2010 at 10:02pm — 5 Comments
अपने इच्छाओँ का त्याग करके,
अपने आप को संभाला हमनेँ।
फिर भी शान्ति नही रहती है,
अपने आप से पूछा हमनेँ।
क्यो होती है किसी की शान्ति मे विघ्न?
क्या ये उचित है जो कर रहा हू मैं?
बेचैन हो उठता हूँ पागल सा लक्षण,
कराह रहा होता हू,
अकेले मे जब होता हू…
ContinueAdded by Mahesh Jee on March 28, 2010 at 11:00pm — 5 Comments
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