जब हो हृदय अतिशय व्यथित
मन में उठें लहरें अमिट।
शब्द के जल से द्रवित हो
अश्रु सा बन धार बहना
काव्य सरिता का निकलना
है यही कविता का कहना।।काव्य सरिता का...
या परम सुख की घड़ी में
याद करके जिस कड़ी को।
या हृदय की धड़कनों से
शब्द गुच्छों का निकलना
काव्य सरिता का है बहना।काव्य सरिता का....
या विरह की वेदना का
जब स्वयं वर्णन हो करना।
बिन कहे सब कुछ हो कहना
शब्द की नौका पे चढ़कर
दर्द की दरिया में बहना
है यही कविता का…
Added by Awanish Dhar Dvivedi on April 27, 2020 at 9:19am — 1 Comment
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