जब हो हृदय अतिशय व्यथित
मन में उठें लहरें अमिट।
शब्द के जल से द्रवित हो
अश्रु सा बन धार बहना
काव्य सरिता का निकलना
है यही कविता का कहना।।काव्य सरिता का...
या परम सुख की घड़ी में
याद करके जिस कड़ी को।
या हृदय की धड़कनों से
शब्द गुच्छों का निकलना
काव्य सरिता का है बहना।काव्य सरिता का....
या विरह की वेदना का
जब स्वयं वर्णन हो करना।
बिन कहे सब कुछ हो कहना
शब्द की नौका पे चढ़कर
दर्द की दरिया में बहना
है यही कविता का करना।काव्य सरिता का.....
या हृदय की वेदना में
शब्दभावों की तथा सं-
कल्पना से प्राण भरना।
और समुचित छन्दमात्रा
से सदा श्रृंगार करना।काव्य सरिता का.....
है यही कविता नदी का
कलकलाते बह निकलना।
और कविता की कली का
फूल सा खिलकर महकना।काव्य सरिता का...
मौलिक एवं अप्रकाशित
अवनीश धर द्विवेदी।।
Comment
आद0 अवनीश धर द्विवेदी जी सादर अभिवादन। भावों के इस प्रकटीकरण पर बधाई स्वीकार कीजिये। रचना शिल्प में कमजोर है। देखियेगा।
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