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Sweet Panday's Blog – September 2017 Archive (2)

कविता एक सवाल

कभी कभी तो लगता है,

जैसे लडकी होना एक गुनाह है,

हर कदम पर लोगों की प्यासी निगाह है,

कदम कदम पर लगती है बन्दिशे ,

हर कदम पर उठते है सवाल,

ऐसा लगता है ,

जैसे लडकी होना एक गुनाह है,

नही होता अधिकार लडकी को,

अपनी जिन्दगी के फैसले लेने का,

नही जी सकती अपनी जिन्दगी,

अपने बनाये खुद के उसूलो पर,

हर कदम पर बांध दी जाती है जजीर,

रिश्तों की मर्यादाओं की समाज के बने खोखले नियमों की,

सच में ऐसा लगता है ,

जैसे लडकी होना एक गुनाह… Continue

Added by Sweet Panday on September 23, 2017 at 7:08pm — 4 Comments

कविता कपुतली

औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली

जिन्दगी डोर कभी इस हाथ में, तो कभी उस हाथ में

नही रहा कुछ अपने हाथ में

बचपन की डोर मॉ बाप के हाथ में

यौवन की डोर बंधी पति के हाथ में

इधर नाचती उधर नाचती

पहुची जब आखिरी पडाव में

जा पहुची बच्चों के हाथ में

औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली

सारी उमर बीत गई सोचते सोचते

क्या रहा अपने हाथ में

समझती रही सबके इशारे

करके हर अपने अरमान किनारे

औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली

सबको अपनाया सबको दुलराया

जब… Continue

Added by Sweet Panday on September 11, 2017 at 5:07pm — 5 Comments

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