For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली
जिन्दगी डोर कभी इस हाथ में, तो कभी उस हाथ में
नही रहा कुछ अपने हाथ में
बचपन की डोर मॉ बाप के हाथ में
यौवन की डोर बंधी पति के हाथ में
इधर नाचती उधर नाचती
पहुची जब आखिरी पडाव में
जा पहुची बच्चों के हाथ में
औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली
सारी उमर बीत गई सोचते सोचते
क्या रहा अपने हाथ में
समझती रही सबके इशारे
करके हर अपने अरमान किनारे
औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली
सबको अपनाया सबको दुलराया
जब बेबस हुई तो दिखा न कोई सहारा
बनकर कठपुतली बीता जीवन सारा
औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 15, 2017 at 10:38am

आदरनीया  स्वीट पांडे जी , समाज मे नारी की स्थिति पर अच्छी कविता रची है , बधाइयाँ । शीर्षक सुधार लीजियेगा .. क पुतली मेरे खयाल से गलत है ।

Comment by Mohammed Arif on September 12, 2017 at 2:24pm
प्रिय स्वीट पांडे जी आदाब, टहली बार आपकी रचना से संवाद स्थापित कर रहा हूँ । अच्छी संभावना है आपमें में । जैसा आपने नारी का चित्रण किया आज की नारी वैसी है नहीं । वह अब कठपुतली नहीं रही । वह सक्षम है, सबल है । हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है । उसे कठपुतली कहना बेईमानी है । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ भी है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by पंकजोम " प्रेम " on September 12, 2017 at 9:56am
वाह दी ह्र्दयस्पर्शी कविता , मुबारक़बाद क़बूल करें
Comment by Mahendra Kumar on September 11, 2017 at 9:54pm

आ. Sweet Panday जी, स्त्रियों की हीन दशा को उजागर करती अच्छी कविता है. भारत की एक बहुप्रचलित प्राचीन पुस्तक में भी कुछ ऐसा ही उल्लेख है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. वैसे मुझे लगता है कि यदि आप इस पंक्ति //औरत की जिन्दगी बन गई एक कठपुतली// को कुछ ऐसा कहतीं "औरत की ज़िन्दगी एक कठपुतली की तरह है" तो ज़्यादा बेहतर रहता. सादर.

Comment by Samar kabeer on September 11, 2017 at 5:54pm
अच्छी कविता है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service