For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

AJAY KANT's Blog (4)

पापा मम्मी आप भी आओ

पापा मम्मी आप भी आओ



उन पुरानी गलिओं से फिर

ख्याल अपने दिल तक आये

आँगन में थे खिलते उन कलियों से

सवाल अपने दिल तक आये

दौरते आते सारे किस्से

कोई बैठकर मुझे सुनाओ

आँखे तरस रही दर्शन को

पापा मम्मी आप भी आओ





गहरी जाती उन घाटीयों से

संकराति गूंजे घूम रही हैं

चट्टानों पे रेत की बूंदे

अब भी मानो झूम रही हैं

भूलते जाते उन पन्नो से

पुरानी कुछ गजलें सुनाओ …

Continue

Added by AJAY KANT on November 3, 2012 at 12:27pm — 3 Comments

जब भी जिंदगी को सोचता हूँ

भंगुरता सी प्रतीत हो रही

जब भी जिंदगी को सोचता हूँ

रोज की जद्दोजहद में फंसा मैं

मस्तिष्क पटल को नोचता हूँ

उतार चढ़ाव से उतना नहीं परेशान

लेकिन कुछ छूट रहा सा लग रहा है

डग लम्बे भर रहा लेकिन

मंजिल और दूर सी लग रही है

बहुत हिम्मत करके कभी कभी

आँगन में नए पौधे लगाता हूँ

बिखरे हुए सपनो को सामने करके

नयी दिशा को पग बढ़ाता हूँ

लेकिन परिवार और समाज में बंधा

मुल्ला की…

Continue

Added by AJAY KANT on June 5, 2012 at 5:30pm — 4 Comments

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

बन गया मुसाफिर इस दुनिया में

सुख दुःख की लाँघ सीमाओं को

सुबह से चलता चलता अब

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

 

कोई पुकारता है दूर चट्टानों से

कोई ढूंढ़ता है मुझे मेरे बहानो से

उन झुरमुटों को साथ ले चला आया

मैं अब किस दिशा को बढ़ चला हूँ

कंधे पर भार लगते नहीं हैं

कोई पूछे सवाल कहारों से

सुबह से चलता चलता अब

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

रोक कर कई पूंछते हैं 

शहर  किधर को…

Continue

Added by AJAY KANT on February 4, 2012 at 8:07pm — No Comments

एक बार और

एक बार और



एक बार और जीने की ख्वाहिश हुई

और उमंगे सातवें आसमान छूने को है

एक बार और मन के बीज अंकुरित हुए

और दिल की सरहदें खुलने को है



असंभव कुछ पहले भी नही था

लेकिन इंद्रियां जुड़ नही रही थी

मन… Continue

Added by AJAY KANT on May 25, 2011 at 2:00pm — 1 Comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service