For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आँख जैसे लगी, ख़ाक घर हो गया
जुल्म का प्रेत कितना निडर हो गया ।

कुछ दरिन्दों ने ऐसी मचाई गदर
खौफ की जद में मेरा नगर हो गया ।

थी किसी की दुकाँ या किसी का महल
चन्द लम्हों में जो खण्डहर हो गया ।

है नजर में महज खून ही खून बस
आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।

थी ख़बर साजिशों की मगर, बेखबर !
ये रवैया बड़ा अब लचर हो गया ।

कौन सहलाये बच्चे का सर तब 'सलिल'
जब भरोसा बड़ा मुख़्तसर हो गया ।

------  आशीष 'सलिल' (हैदराबाद)

Views: 826

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 8, 2013 at 7:15pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया वेदिका जी !

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 8, 2013 at 7:14pm

आदरणीय विजय सर......
आपको ग़ज़ल अच्छी लगी
तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by वेदिका on March 8, 2013 at 4:47pm

है नजर में महज खून ही खून बस
आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।

बहुत खूब आशीष नैथानी 'सलिल' जी !
जिस घटना को केन्द्रित किया है, भयावह है वह, काश समझने वालों को समझने में आये यह बात या नासंझने वालों को।
शुभकामनाये
सादर वेदिका

Comment by vijay nikore on March 8, 2013 at 4:28pm

आदरणीय आशीश जी,

 

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 25, 2013 at 11:38pm

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अभिनव जी....

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 25, 2013 at 11:37pm

धन्यवाद आदरणीय पवन जी....  गजल पसंदगी के लिए तहे दिल से शुक्रिया विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी.....

Comment by Abhinav Arun on February 25, 2013 at 3:18pm

है नजर में महज खून ही खून बस आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।

दर्दनाक हादसे पर केन्द्रित असरदार ग़ज़ल . हर शेर सोचने को विवश करता है . काश आवाज़ उन तक पहुंचे ...

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 25, 2013 at 12:24pm
सच हैदराबाद को वह दृश्य कितना वीभत्स था,हृदय विदारक।और यह निकम्मी सरकार को पता था कि धमाका होने वाला है।यह उससे भी अधिक वीभत्स है।आपने बहुत जीवंत चित्रण किया है,आपको तथा आपकी गजल को बधाई।
Comment by pawan amba on February 25, 2013 at 5:56am

ये रवैया बड़ा अब लचर हो गया ।......

बहुत खुबसूरत अंदाज़  है आपका 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 24, 2013 at 10:12am

तहे दिल से शुक्रिया भाई सन्दीप जी...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
10 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service