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ग़ज़ल - दुआओं की तिजारत हो रही है !

ग़ज़ल -
.

भुलाए पर, यहाँ तक भी न कोई ।

सताए पर, यहाँ तक भी न कोई ।

मुझे हर आइने ने झूठ बोला ,
निभाये, पर यहाँ तक भी न कोई ।

मुहब्बत से भरोसा उठ गया है ,
सताए, पर यहाँ तक भी न कोई ।

फिर औलादें ही अपनी गलियां दे,
लुटाए, पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
पतंगे खेल  कुदरत के बिगाड़ें ,
उड़ाए, पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दुआओं की तिजारत हो रही है
कमाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
किया माँ बाप का एहसान समझें ,
पढ़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दो बेटों में बंटें माँ बाप बिखरे ,
लड़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
               
* सर्वथा मौलिक और अप्रकाशित 
                  -   अभिनव अरुण 
                 [may - june 2013]
              

Views: 931

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Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:22pm

आदरणीया शशि जी बहुत शुक्रिया , सादर वंदन !!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:21pm

आदरणीय श्री आशीष जी अशआर आपको भाये इस अनुमोदन के लिए दिल से आभार स्वीकारें ! 

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:20pm

आदरणीय श्रद्धेय  अग्रज जी ! आपके आशीष पा हर्षित और प्रफुल्लित हूँ !! जी वो टंकण की त्रुटि है ।सादर एडमिन जी से आग्रह है यदि सुधर जाए तो उसे " गालियाँ " कर दें अग्रिम आभार !! और आदरणीय श्री को पुनः प्रणाम !!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:17pm

आदरणीय श्री केतन जी बहुत बहुत शुक्रिया !

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:07pm

आपको आनंद आया आदरणीय संपादक महोदय  मैं और भी जिम्मेदारी समझ रहा हूँ . और भी बेहतर लिखने / कहने का प्रयास करूँगा . आपसे गुरुजनो से सानिध्य में कुछ सका तो सौभाग्य होगा . सादर नमन !!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:05pm

आदरणीया डॉ साहिबा परम सौभाग्य आपने सराहा , ग़ज़ल धन्य हुई ।बहुत आभार !!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:04pm

आदरणीया   कुंती जी सादर आभार आपका !!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:01pm

सादर स्वीकार आदरणीय श्री राम शिरोमणि जी !! आभार सहित अभिवादन !!!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 3:00pm

आदरणीय श्री केतन जी शेर के अनुमोदन का शुक्रिया !!

Comment by Abhinav Arun on July 26, 2013 at 2:58pm

परम आभार आदरणीय अन्नपूर्णा जी , सादर वंदन आपका !!

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