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राज की बात हम तलक ही रहे
ये मुलाक़ात हम तलक ही रहे ।

कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।

उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
मेरे इस्बात हम तलक ही रहे ।

डर है तुझको बहा न ले जाये
ऐसी बरसात हम तलक ही रहे ।

इन सितारों को बाँट ले दुनिया
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।

(इस्बात - प्रमाण/सुबूत)

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Comment by Abhinav Arun on February 18, 2013 at 3:32pm

इन सितारों को बाँट ले दुनिया 
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।

वाह क्या कहने शानदार अशार श्री सलिल जी हार्दिक बधाई इस ग़ज़ल पर !!
Comment by Parveen Malik on February 18, 2013 at 11:21am

आशीष जी छोटी रचना लेकिन सुन्दर ... पर मुझे तलक का मतलब नहीं पता जबकि तलक शब्द ज्यादा इस्तेमाल किया गया है ! 

Comment by नादिर ख़ान on February 18, 2013 at 10:34am

डर है तुझको बहा न ले जाये 
ऐसी बरसात हम तलक ही रहे ।

क्या बात है बहुत खूब ....

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