For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"एक लाख पचपन हजार..  एक

एक लाख पचपन हजार..  दो

एक लाख पचपन हजार..  तीन ..."

अधिकारी महोदय ने जोर से लकड़ी का हथौड़ा मेज पर दे मारा. रघुराज ठेकेदार की तरफ देखते हुए वे धीरे से मुस्कुरा दिए.

रघुराज ठेकेदार ने भी आँखों ही आँखों में अधिकारी महोदय को मुस्कुराते हुए अपनी सहमति जतायी और अपने मित्र मोहन के कंधे पर हाथ रख धीरे से बोल उठे,  ''ओये मोहन्या..चल भाई, हम भी अब अपना काम करें. अधिकारी महोदय के लिए पूरा इंतजाम करना है ''

दोनों खुश-खुश नीलामी स्थल से बाहर निकल गये...

 

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:46pm

आदरणीय शिज्जू जी, भ्रष्टाचार सिर्फ सरकारी दफ्तरों या नौकरियों में ही नहीं बल्कि हर जगह मौजूद है, बस देखने और समझने को होना चाहिए, अपना स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:41pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, आपकी प्रतिक्रिया// लघु कथा स्वयं बोलती लग रही है,// से लेखनकर्म सफल हुआ, आपका हार्दिक आभार, स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:37pm

आदरणीय योगराज जी, लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया शिरोधार्य है, स्नेहिल मार्गदर्शन व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:24pm

आदरणीय डा. गोपाल जी, आपको व्यंग पसंद आया, यह रचना की सार्थकता का प्रमाण है अपना आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:22pm

आदरणीया कुंती जी, आपकी प्रतिक्रिया //लघु कथा वहीं जो सीमित शब्दों में बृहद अर्थ उजाकर करे.// से रचना धन्य हुई, आपका हार्दिक आभार , स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:17pm

आदरणीय बृजेश जी, आपका हार्दिक आभार स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:16pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी, आपका हृदय से आभार स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:14pm

आदरणीया सरिता जी, आपका हार्दिक आभार स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:12pm

आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया से बड़ी ख़ुशी मिलती है, स्नेह बनाये रखियेगा आदरणीय चंद्रशेखर जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:09pm

आपने बिलकुल ठीक कहा, आदरणीय अखिलेश जी सिर्फ कडवी सच्चाइयों की भरमार है, देश की कहीं कोई चिंता न कुछ

आपका हार्दिक आभार, स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service