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भारतवर्ष या इंडिया

उत्तर मे हिमालय से प्रारंभ हो कर दक्षिण मे जहाँ सागर की उत्ताल तरंगे इस अप्रतिम राष्ट्र के पैर पाखार रहीं है, और कराची से कंबोडिया तक जहाँ अपनी भारत मा अपनी बाहें फैलाए अपने पुत्रों के हर दुख को आत्मसात करती खड़ी दिखती है,संपूर्ण आर्यावर्त को अपने वात्सल्य के मजबूत.डोरी मे बांधती दिखती है वह सारी की सारी सांसकृतिक भूमि हिंदुस्तान है.इससे कोई अंतर नही पड़ता कि आप उसे हिंदुस्तान कहते है या भारत या फिर इंडिया.
राज्य अनेक हो सकते हैं... राजनीतिक सत्ताएँ भी अनेक हो सकती हैं...किन्तु सांस्कृतिक राष्ट्र तो
अविभाज्य है.हमारे मान दंड एक हैं...हमारी परंपराएं एक हैं...हमारे पूर्वज साझे रहे हैं...हमारी आस्था के केंद्र
भी साझे हैं....गाय और गंगा को हम सब प्रणाम करते रहे हैं..काशी और अयोध्या हमारी राजधानियों के साझे नाम रहे हैं ..राम हम सबके हृदय मे बसे हैं...हमे हमारे साझे पूर्वजों का आशीर्वाद भी प्राप्त है...
भारत् तो नाम ही उस राष्ट्र का है जिसके निवासी भा यानी ग्यान और प्रकाश की खोज मे निशि-दिन रत है.. ...लगे हुए हैं...तमसो मा ज्योतिर्गमय...अंधकार से प्रकाश की ओर प्रयाण करने की प्रेरणा देने वाले लोगों का देश ही भारत है..बचपन मे सिंह के जबड़े से खेलने वाले भारत के वंशज होने का हमे गर्व भी है.
तो जब हमारे पास दो दो अर्थ वान संज्ञाये पहले से ही हो तो इंडिया कहलाने का कोई औचित्य नही
रह जाता .

एक तो वे विदेशी जो सिंधु नदी को इंडस बोलते थे और सिंधु के पार की भूमि को इंडिया..इस अर्थ मे
इंडिया अपनी व्यापकता खो बैठती है जबकि हिंदुस्तान या भारतवर्ष विशाल भू क्षेत्र और सु संगठित राष्ट्र के रूप मे प्राचीन काल से ही स्वीकार किया जाता रहा है.
एक और बात यदि कोई व्यक्ति उच्चारण के दोष से किसी का नाम बिगाड़ता है तो क्या आवश्कता है की हम उस बिगड़े हुए नाम से गौरवान्वित हों?
तैमूर लंग के सम कालीन इतिहासकारो ने तत्कालीन इस्लामी शासकों को भी काफिर और हिन्दू के नाम से
संबोधित किया है..और तैमूर ने उन्हे युद्ध मे परास्त भी किया है....
हज करने जाने वाले भारतीय मुसलमान भले ही यहाँ खुद को हिन्दू कहलाने मे ऐतराज करते हों किंतु साउदी अरेबिया मे तो उनका हिन्दू मुसलमान के रूप मे ही वर्गीकरण किया जाता है क्यों कि वे सब हिंदुस्तान के निवासी हैं.
अब मैं आप सब पर यह छोड़ता हूँ की खूब अच्छी तरह से विचार कर यह निर्णय ले कि अपने देश का क्या नाम होना चाहिए...
Dr. Brijesh Tripathi

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Comment by Admin on July 16, 2010 at 8:55am
आदरणीय डाक्टर ब्रिजेश त्रिपाठी जी ,प्रणाम , सर्वप्रथम तो मैं ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपके पहले ब्लॉग का स्वागत करना चाहूँगा, पहला ब्लॉग ही काफी विचारोतेजक और मनन मंथन योग्य है, इंडिया शब्द बार बार अंग्रेजो उनकी बर्बरता और गुलामी की याद दिलाती है, मेरे विचार से अपने देश का नाम भारतवर्ष या हिंदुस्तान ही ठीक है इंडिया तो कतई नहीं ,
और सदस्यों का विचार अलग हो सकता है , सभी सदस्यों से निवेदन है कि अपनी राय दे,
बहुत बहुत धन्यवाद डाक्टर त्रिपाठी जी इस ओजपूर्ण लेख के लिये ,

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