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भारती धर्म अपना क़द करे हैं !
माँ की खायी कसम न मद करे हैं !
तीरगी को हटाया जाँ हमी ने,
रघुवंशी हम उजालों क़द करे है !
मोमबत्ती भी जिनसे जल न सकी,
सूरज होने का दावा ज़द करे हैं !
जाने क्या वो अँधेरों के हामी
वरिष्ठों के है अदु वो हद करे हैं !
सावन अंधे जुड़ाव हो कैसे ?
है रतौंधी उन्हें अहद करे हैं !
'चेतन' तूफाँ उड़े बदन हल्के,
न दिमाग आला है तो नद करे हैं !
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