For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोस्तों के दिल में रहते हैं

हवाओ से कह दो अपनी औकात में रहे

हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।

फिज़ाओं से कह दो अपनी हदों में रहे

हम बहारो से नहीं घटाओ से बनते है।

फूलो से कह दो कही और खिले

हम पंखुड़ी से नहीं काँटों में रहते हैं।

दुश्मनों से कह दो कही और बसे

हम कही और नहीं दोस्तों के दिल में रहते हैं।

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on February 10, 2012 at 12:50pm

good

Comment by sanjeev sameer on December 28, 2010 at 7:10pm

जानदार अभिव्यक्ति

सुन्दर रचना

बधाई प्रवीना जी!

Comment by praveena joshi on August 2, 2010 at 8:16pm
सबसे पहले o.b.o. परिवार को धन्यवाद मेरा इतना अच्छा स्वागत करने के लिए ,जिसकी मुझे इतनी उम्मीद नहीं थी .,यहाँ बिलकुल वैसा माहौल देखने को मिल रहा है जैसा हम परिवार में नए शिशु के जन्म लेने पर करते है.मै अपनी कविताओं में स्तर बनाये रखने कि हमेशा कोशिश करुँगी ,फिर भी यदि कोई गलती हो तो अपने परिवार के इस नये शिशु (सदस्य ) को माफ़ करेंगे ऐसी मै उम्मीद करती हू .
Comment by Kanchan Pandey on August 2, 2010 at 7:36pm
waah waah baut khub likhi hai Pravina mam,हवाओ से कह दो अपनी औकात में रहे,

हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।bahut achhi rachna thx mam and thx OBO
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on August 2, 2010 at 7:26pm
बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने प्रवीना जी.....सबसे पहले HAPPY FRIENDSHIP DAY ....
बस इतना ही कहूँगा की....
हो सके तो मुझे कुछ ख़ास रखना,
दोस्ती का इतना तो एहसास रखना,
आप की दुआ से मिलेगी खुशियाँ मुझे,
ये सोच कर हर दुआ में मुझे याद रखना.....

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 2, 2010 at 7:18pm
बहुत ही मखमली छुवन लिये प्यारी सी कविता , अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई,
Comment by Rash Bihari Ravi on August 2, 2010 at 4:35pm
manmohak
Comment by Neelam Upadhyaya on August 2, 2010 at 9:50am
मित्र दिवस पर बहुत-बहुत बधाई आ हार्दिक शुभकामना । बहुत ही सुन्दर रचना है ।
Comment by Admin on August 1, 2010 at 9:56pm
आदरणीया प्रवीणा जोशी जी ,
प्रणाम ,
सर्वप्रथम मैं ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपकी पहली रचना का ह्रदय से स्वागत करते है, मित्र दिवस के दिन आपने बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति दी हैं,

दुश्मनों से कह दो कही और बसे
हम कही और नहीं दोस्तों के दिल में रहते हैं।


बहुत ही सुंदर पक्तिया, आगे भी आपकी रचनाओं का इन्तजार रहेगा , धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service