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मैं आठवीं सूची का भूखा नहीं हूँ ,,

क्या समझते हो ,
मैं थक के हार के ,
बैठ जाऊंगा ,
ये सोच जो हैं आपकी ,
इसे गलत साबित कर दूंगा ,
मैं हूँ भोजपुरी पुत्र ,
भोजपुरिया ,
और मैं दहाड़ता रहूँगा ,
चाहे आप मानो या ना मानो
मुझे भाषा ,
मैं आपके सीने पे चिंघाड़ता रहूँगा ,
कब तक मिटाते रहोगे मुझको ,
अपने सदन पटल से ,
अरे बेशर्मो ,
मुझे चाहने वाले....
हिंदुस्तान में हिंदी के बाद ,
सबसे ज्यादा हैं ,
मैंने ही दिया था राजेंद्र बाबु को ,
जिसका तुम गुणगान करते हो ,
मैंने ही पैदा किया भिखारी ,
जिसे तुम महान कहते हो ,
कुँवर भी पैदा करने की क्षमता हैं मुझमे ,
जान लो कोई कुँवर अगर खड़ा हुआ ,
फिर मत कहना चेताया नहीं ,
आपको ये सब बताया नहीं ,
शर्म हैं तो आगे आओ ,
हमें अपनाओ ,
मैं आठवीं सूचि का भूखा नहीं हूँ ,
कारण हमारे शेर दहाड़ते हैं ,
सदन में और दहाड़ते रहेंगे

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 14, 2010 at 2:49pm
आपकी कविता की गर्जना बहुत दूर तक जायेगी, बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति, जिसका जो स्थान है वो आज नहीं तो कल देनी ही होगी,जय हो,
Comment by Rash Bihari Ravi on August 13, 2010 at 8:16pm
jai ho ptreetam bhai ke
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on August 13, 2010 at 8:13pm
bahut badhiya likha hai aapne guru jee....kahan kahan se aap samet kar aise rachna bana dete hain...waise jisne bhi aapka naam guru jee rakha hai sahi hi rakha hai....

jai hoooooooooooooooooooooo

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