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हिंदी प्रसार

है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
हिंदी के दीप से ही, सम्भव है उजियारा ||
हमें मात्रभाषा को ही, है बनाना राष्ट्र- भाषा |
इससे ही बढ सकेगी, साक्षरता  की आशा ||
हिंदी में काम करना, हमें चाहिए अब सारा ||है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
हिंदी सी मधुर वाणी, नहीं विश्व में है कोई |  
हिंदी ने अपनी शोभा, नहीं आज-तक है खोई ||
हिंदी में ही रचित है, इतिहास सब हमारा | है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
हिंदी कि शान अपनी, हिंदी है जान अपनी |
हिंदी से ही बनेगी, जग में पहचान अपनी ||
हिंदी सी सरल भाषा, बने सब का ही सहारा |  है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
देखें आकाश-गंगा, भाषाओं की बनी जो |
पाओगे भिन्न सबसे, हिंदी की ही छवि को ||
हिंदी 'शशि' है नभ में, भाषाएँ सब है तारा | है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा | 

 

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Comment by Rash Bihari Ravi on September 16, 2011 at 2:31pm

है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
हिंदी के दीप से ही, सम्भव है उजियारा ||
हमें मात्रभाषा को ही, है बनाना राष्ट्र- भाषा |
इससे ही बढ सकेगी, साक्षरता  की आशा |
bahut sundar sir ji

Comment by Abhinav Arun on September 16, 2011 at 2:20pm

अच्छी सन्देश परक कविता बहुत बहुत बधाई शशी जी !!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 15, 2011 at 10:14am

वाह वाह, शशि मेहरा जी, बहुत ही खुबसूरत रचना प्रस्तुत किया है आपने, सच यही सोच हमें हर हिन्दुस्तानी में देखना है, बधाई स्वीकार करें |

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