For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये कैसी अंध भक्ति ?

हर बरस यह बात सामने आती है कि प्रतिमाओं के विसर्जन तथा श्रद्धा में लोग कहीं न कहीं, अंध भक्ति में दिखाई देते हैं और अन्य लोगों को होने वाली दिक्कतों तथा प्रकृति को होने वाले नुकसान से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता। अभी कुछ दिनों पहले जब गणेश प्रतिमाएं विराजित हुईं, उसके बाद कान फोड़ू लाउडस्पीकरों ने लोगों को परेशान किया। प्रशासन की सख्त हिदायत के बावजूद फूहड़ गाने भी बजते रहे। श्रद्धा-भक्ति के नाम पर जिस तरह तेज आवाज में गानें दिन भर बजते रहे या कहें कि दिमाग के लिए सरदर्द बने ये भोंपू रात में भी बजते रहे। श्रद्धा-भक्ति की बात आती है तो आदेश-निर्देश जारी करने वाली पुलिस भी पीछे हट जाती है। कई बार यह भी कहा जाता है कि पुलिस को शिकायत नहीं मिली है। क्या किसी की शिकायत के बाद ही पुलिस कार्रवाई करेगी? यही पुलिस की जवाबदेही बनती है ? शांति व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। इसमें स्वस्फूर्त उनकी भूमिका दिखाई देनी चाहिए, जो हर बार की तरह इस बार भी दिखाई नहीं दी। सवाल यही है कि क्या किसी को श्रद्धा-भक्ति के नाम पर परेशान करना उचित है ? स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई तो प्रभावित होती ही है, साथ ही उन लोगों की परेशानी भी बढ़ती है, जिन्हें तेज आवाज के कारण शारीरिक दिक्कतें होती हैं। श्रद्धा-भक्ति महज दिखावा नहीं होना चाहिए, मानवीय रूप से भी लोगों को दूसरों को होने वाली मुश्किलों को समझना चाहिए। कानफोड़ू आवाज के बाद, लोग रास्तों के जाम होने के कारण परेशान होते हैं। यहां भी केवल अंध भक्ति ही दिखाई देती है। क्या, कोई रास्ता जाम करके या ऐसा कोई कार्यक्रम करके, जिससे पूरा मार्ग ही बंद हो जाए, ऐसा करके अपनी भक्ति भावना को बढ़ाया जा सकता है ? भक्ति भाव में यह होना चाहिए कि दूसरों को बिना दुख दिए तथा परेशानी में डाले पूजा होना चाहिए। न कि ऐसी किसी कृत्य की ओर उन्मुख होना चाहिए, जिससे लोगों को आवाजाही में परेशान होना पड़े। तीसरी बात जिस तरह से नदी-नालों तथा तालाबों में प्रतिमाओं को श्रद्धा भाव से विसर्जन किया जाता है, वह क्या सही है ? पहले प्रतिमाओं का स्थापन भी कम होता था और तालाबों की संख्या अधिक हुआ करती थी। आज स्थिति यह है कि तालाबों की संख्या दिनों-दिन सिमट रही है और नदी-नालों में पानी का जल स्तर भी कम होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में प्रतिमाओं को बिना किसी प्रकृति का ख्याल किए, विसर्जन की परिपाटी को बेहतर नहीं कहा जा सकता। एक अन्य पहलू के तहत देखें तो प्रतिमाओं में तरह-तरह के रंग तथा कई ऐसी सामग्रियों का इस्तेमाल होता है, जो सड़ता नहीं है। इससे निश्चित है, पानी का शोधन में रूकावट पैदा होगी, यह भी हमारे आने वाले दिनों के लिए ठीक नहीं है। बारिश के दिनों में पॉलीथीन के कारण भूमि में पानी का जमाव नहीं होता, उसी तरह से ऐसी सामग्रियों से प्रकृति को हम कहीं न कहीं नुकसान पहुंचा रहे हैं। श्रद्धा भक्ति ऐसी होनी चाहिए, जिससे भगवान की आराधना भी हो जाए और प्रकृति को प्रभावित होने से भी बचाया जाए। इसी तरह की पहल की आवश्यकता है। इसमें हम सभी को आगे आना होगा। श्रद्धा को हम आत्मसात ऐसे करें, जिससे हमें अपनी प्रकृति का कोपभाजन न बनना पड़े। आज ऐसी ही तमाम गलतियों के कारण ही हमारी प्रकृति बिगड़ रही है और पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण के दूषित होने से कई तरह की बीमारियों होती हैं, यह भी हमारे शारीरिक जीवन से जुड़ा हुआ है। अब बात करें, उस अंध भक्ति की, जिसके बाद श्रद्धा का भाव कहीं गुम होता नजर आता है। प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए टोली निकलती है तो उस दौरान अधिकतर देखा जाता है कि अनेक लोग शराब के नशे में रहते हैं। ऐसे में हम किस तरह श्रद्धा-भक्ति को भगवान को अर्पित कर रहे हैं ? इस बात पर हमें विचार करने की जरूरत है। शराब पीने के बाद राहगीरों से हुज्जतबाजी तथा मार्ग को जाम कर नाचते-गाते विसर्जन के लिए जाने की सोच को, कहां तक सही कहा जा सकता है ? क्या शराब पीकर भगवान की सच्ची आराधना हो सकती है ? गणेश विजर्सन के बाद भगवान विश्वकर्मा के विसर्जन के दौरान भी यही हालात नजर आए। अब कुछ दिनों बाद मां दुर्गा की पूजा-अर्चना होगी। इस दौरान भी प्रतिमाओं का स्थापन होगा, कानफोड़ू आवाज में लाउडस्पीकर फिर गूंजेंगे। उसके बाद प्रतिमाओं का विसर्जन होगा, इस समय भी प्रकृति के बिना परवाह किए एक बार फिर हम तालाबों-नदी नालों के पानी को दूषित करने की कोशिश करेंगे। श्रद्धा-भक्ति की कोई थाह नहीं है और न ही किसी मापक से मापी जा सकती है। यह तो भगवान की सच्चे मन से की गई आराधना होती है। जिससे मन को शांति मिले और मन को तभी शांति मिलेगी, जब किसी राहगीर या आम लोगों का मन अशांत न हो। इसके लिए हर वर्ग के लोगों को सामने आकर जहां रास्ता जाम होने की स्थिति को लेकर जागरूकता लाने का प्रयास करना चाहिए और समितियों के पदाधिकारियों को पहल करनी चाहिए, वहीं कानफोड़ू आवाज से भी तौबा किया जाना चाहिए, जिससे किसी अन्य को होने वाली जबरन की परेशानी से निजात मिल सके। शराब की बढ़ती प्रवृत्ति भी अंध भक्ति का परिचायक साबित हो रही है, क्योंकि जब लोग शराब के नशे में मदहोश रहेंगे तो फिर कहां और कैसी भक्ति की बात हो सकती है ? शराब के नशे में धुत्त व्यक्ति की अंधश्रद्धा के कारण राहगीर को भी दिक्कतें होती हैं, इस दिशा में भी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। तब कहीं जाकर हम कह सकेंगे कि हमने अपने आराध्य के प्रति सच्ची भक्ति व श्रद्धा प्रकट किया, अन्यथा ऐसी ‘अंध-भक्ति’ केवल लोगों के लिए मुसीबत बनी रहेगी। राजकुमार साहू लेखक जांजगीर, छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार हैं। पिछले दस बरसों से पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और स्वतंत्र लेखक, व्यंग्यकार तथा ब्लॉगर हैं। जांजगीर, छत्तीसगढ़

Views: 281

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service