For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना बदल गया

मेरा शहर कितना बदल गया
मेरे वास्ते अब क्या रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
न वोह मंजिलें न वोह रास्ते
जो कभी थे मेरे वास्ते
यहाँ लुट गया मेरा आशियाँ
यहाँ हमसफ़र न कोई रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
जो गुजर गया उसे भूल जा
मेरा दिल यह कहता है मान जा
यह वक़्त की सौगात है
मेरा वक़्त अच्छा ना रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
अब तो अजनवी सा लगे शहर
रिश्तों में घुल चुका ज़हर
कहने को सब अपनें हैं
अपनापन अब कहाँ रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
किस किस को समझाओगे तुम
'दीपक' बड़ा मासूम है
टुकड़े भी दिल के वंट गए
मेरा दिल भी मेरा कहाँ रहा
मेरा शहर कितना बदल -----

दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486

Views: 301

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 21, 2010 at 5:14pm
dhanyabad honsala hafzai ke liye
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 20, 2010 at 5:05pm
MERA SHAHAR KITNA BADAL GAYA AUR AAP SABAKO ACHHA LAGA (MAZAQ)

IT IS REALITY BASED RACHANA

THANKS EVERYBODY ,

KULUVI

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 19, 2010 at 8:36pm
सुन्दर गीत ....पी के मिश्र जी का एक शेर याद आया ....खिदमत में पेश है ...

मेरी पहचान का एक शख्स इसी शहर में है
मै भी जिन्दा हूँ ज़रा उसको बता दे कोई

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 18, 2010 at 9:42pm
'दीपक' बड़ा मासूम है
टुकड़े भी दिल के वंट गए
मेरा दिल भी मेरा कहाँ रहा
मेरा शहर कितना बदल ,

वाह वाह एक बार पुनः सुंदर रचना, रुचिकर लगा , धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Oct 11

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service