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कितना बदल गया

मेरा शहर कितना बदल गया
मेरे वास्ते अब क्या रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
न वोह मंजिलें न वोह रास्ते
जो कभी थे मेरे वास्ते
यहाँ लुट गया मेरा आशियाँ
यहाँ हमसफ़र न कोई रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
जो गुजर गया उसे भूल जा
मेरा दिल यह कहता है मान जा
यह वक़्त की सौगात है
मेरा वक़्त अच्छा ना रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
अब तो अजनवी सा लगे शहर
रिश्तों में घुल चुका ज़हर
कहने को सब अपनें हैं
अपनापन अब कहाँ रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
किस किस को समझाओगे तुम
'दीपक' बड़ा मासूम है
टुकड़े भी दिल के वंट गए
मेरा दिल भी मेरा कहाँ रहा
मेरा शहर कितना बदल -----

दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 21, 2010 at 5:14pm
dhanyabad honsala hafzai ke liye
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 20, 2010 at 5:05pm
MERA SHAHAR KITNA BADAL GAYA AUR AAP SABAKO ACHHA LAGA (MAZAQ)

IT IS REALITY BASED RACHANA

THANKS EVERYBODY ,

KULUVI

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 19, 2010 at 8:36pm
सुन्दर गीत ....पी के मिश्र जी का एक शेर याद आया ....खिदमत में पेश है ...

मेरी पहचान का एक शख्स इसी शहर में है
मै भी जिन्दा हूँ ज़रा उसको बता दे कोई

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 18, 2010 at 9:42pm
'दीपक' बड़ा मासूम है
टुकड़े भी दिल के वंट गए
मेरा दिल भी मेरा कहाँ रहा
मेरा शहर कितना बदल ,

वाह वाह एक बार पुनः सुंदर रचना, रुचिकर लगा , धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

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