For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता : लद गया जमाना शराफत का भाई.....

लद गया जमाना शराफत का भाई
 साधू के भेष में  घुमने लगे कसाई.
        अब तो बिकने लगा इमान कौड़ीयों के भाव में.
        झूठ की हुकूमत हो गयी सच्चाई के गावं में.  
बेआबरू होखे दर-दर भटके बिश्वास.
रिश्तों-नातों से हमदर्दी ने ले ली बनवास.
         बड़ों से बड़प्पन मिटा छोटों से मिटा लिहाज़.
        नारी के कोमल ह्रदय से मिट गया पावन लाज.
चारों तरफ बेशर्मी की घनघोर घटा है छाई.
लद गया जमाना शराफत का भाई
धर्म  की  दुकान चलाने लगे अधर्मी.
संस्कार की शिक्षा देने लगे बेशर्मी.
         नियम और कानून सबके हो गये दो रंग.
         लूट रहे है चोर सिपाही मील के संग-संग.
मालदारों के जेब का गुलाम हुआ कानून.
बेगुनाह निकालते है करने वाले खून.
            आश्वासन की अमृत की फर्जी घुट पिला कर.
           लूट रहे है देश के नेता जनता को बेवकूफ बनाकर.
करा रहे है मजहब के नाम पर, दंगा और लड़ाई.
लद गया जमाना शराफत का भाई
        घूसखोरी के धंधे में आई गजब की तेजी.
        हिंदी बन गयी नौकरानी महारानी,बनी अंग्रेजी.
 मत पूछिये आलम देश में बेरोजगारी का.
बन गया है आदमी तमाशा किसी मदारी का.
          गम का सौदा कर बैठे खुशिओं के ब्यापार में.
          जहर की दुकान पे भी, खड़े है लोग कतार में. 
जीवन नरक बना रही है,कर्कश महंगाई.
लद गया जमाना शराफत का भाई

Views: 603

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Noorain Ansari on October 27, 2011 at 11:54am
सतीश जी और बंदना जी..
बहूत बहूत सादर आभार ..
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आप दोनों को भी मेरे तरफ से..
Comment by satish mapatpuri on October 26, 2011 at 8:31pm

बड़ों से बड़प्पन मिटा छोटों से मिटा लिहाज़.

  नारी के कोमल ह्रदय से मिट गया पावन लाज.
ज़हे नसीब ................ बड़ा ही खुबसूरत ख़्याल पेश किया है .............
दाद कबूल करें अंसारी साहेब और दीपावली की शुभकामनाएं भी
Comment by Noorain Ansari on October 20, 2011 at 7:19pm
गणेश जी प्रणाम,
बहूत बहूत सादर आभार..आपने अपने बहुमूल्य और बेशकीमती समय से कुछ क्षण निकालकर मेरी इस टूटी-फूटी रचना को
अपने अनमोल प्रतिक्रिया  से नवाज़ा..

बहूत बहूत धन्यवाद.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 20, 2011 at 6:46pm

आश्वासन की अमृत की फर्जी घुट पिला कर.            

लूट रहे है देश के नेता जनता को बेवकूफ बनाकर

 

नुरैन भाई, आख खोलक रचना है, यथार्थ को आपने अभिव्यक्त किया है, इस खुबसूरत रचना हेतु बधाई स्वीकार करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service