For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"मेरा बेबस प्यार"




अब नहीं याद मुझे वो शैदाई ख्वाब, ऐ बेवफा सनम...
जिसमें तेरी आँखों में जन्नत नज़र आया करती थी...
जिसमें तेरी साँसों की गर्मी से मेरी ठिठुरन जाया करती थी...
जिसमें होती थी रौशन रोज़ चांदनी रातें...
जिसमें तेरी मेरी धड़कन कुछ बहक सी जाया करती थी...

अब नहीं मज़ा देती वो पूर्णमासी की रातें...
जिसमें सारी रात चंदा निहारते बीत जाया करती थी...
जिसमें जुगनुओं की चमक से आँखें चौंध जाया करती थी...
जिसमें भुलाती थी दिनभर की टूटन तेरी मुस्कानें...
जिसमें तेरी मेरी बतियाँ हर सवाल मिटा दिया करती थी...

अब नहीं करती सावन का इंतज़ार ये आँखें...
जिसमें तेरे संग भीगने की लहर मन में जागा करती थी...
जिसमें तेरी आँखों की शरारत मुझे छेड़ जाया करती थी...
जिसमें सिहरती थी तेरी छुअन से हर सासें...
जिसमें तेरी मेरी मोहब्बत के गीतों से बूंदें सुर मिलाया करती थी...

अब ना हैं वो ख्वाब... ना वो रातें... ना वो इंतज़ार...
बस है तो सिर्फ मैं और मेरा बेबस प्यार...
सिर्फ मैं...
और मेरे बेवफा सनम का...
मुझपे किया हर वार...!!

:::: जुली मुलानी ::::
:::;Julie Mulani ::::

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on October 12, 2010 at 1:26am
Itz My Pleazure Rajesh jee... Thank-U SO Much for Reading...!! :-)
Comment by Rajesh Kumar Singh on October 11, 2010 at 11:57pm
Awesome poem , Many many thanks

Julie Jee
Comment by Julie on September 2, 2010 at 1:51am
बागी जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका, मेरी कविता को एक पहचान दे दी आज आपने...!! :-)

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2010 at 11:55pm
जुली जी आपकी रचनाओं में कुछ अलग ही बात होती है, यह भी रचना एक नये कलेवर मे है, काफी रुचिकर कविता और खुबसूरत प्रस्तुति , धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service