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Comment by Subodh kumar on September 6, 2010 at 5:22pm
dhanyabaad ganesh jee...aap jaise kalakaar ki sarhana paakar main aatm bhivhor ho jaata hun...aur likhne per agraser bhi..

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2010 at 9:31am
एक और सुंदर ग़ज़ल पढ़ने को मिली, बहुत खूब शरद भाई , लगे रहो ,

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