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इंसानियत का फ़र्ज़

डेंगू का कहर देखकर
बेचारे मच्छर भी शरमा गए
अपनें तो पीछे हट गए
बेचारे मच्छर मदद को आ गए
कहनें लगे ना घबराना
हम इंसानियत का फ़र्ज़ निभाएँगे
आपके अपनें तो धोखा दे गए
हम ब्लड डोनेशन को ज़रूर आएँगे
अपना खून देकर भी
हम आपको ज़रूर बचाएँगे
जितना आपसे चूसा था
उससे दुगुना देकर जाएंगे
अपनी तो मज़बूरी थी
ना पीते तो कैसे जीते
लेकिन आपकी खातिर हम
बिन पिए मर जाएंगे
लेकिन आपके अपनों की तरह
पीठ नहीं दिखाएँगे
बहाने नहीं बनाएँगे
यह वादा है हमारा
आपको ज़रूर बचाएँगे
आपको ज़रुर--------


'दीपक शर्मा कुल्लुवी'
०९१३६२११४८६
१३/०९/२०१०.

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 15, 2010 at 10:23am
DHANYABAAD SIR FOR ACCEPTING MY INSANIYAT KA FARZ

DEEPAK

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