सांस में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है ताना बाना प्यार का
मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है ज़माना प्यार का
यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का
उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना प्यार का
चीज है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का
बैठे ठाले यों ही कुछ कुछ लिख दिया
ख़ुद-ब-ख़ुद बन बैठा गाना प्यार का
है मुकद्दरमन्द जिसको मिल गया
ज़िन्दगी में गुनगुनाना प्यार का
उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का
_______JAI HIND
Comment
आदरणीय डॉ सूरज बाली "सूरज" जी,
मुझे आनन्द है इस बात का कि आपको पसन्द आई मेरी तुकबंदी.........यों ही स्नेह बनाए रखिये...आप जैसे वरिष्ठों का मार्गदर्शन हम नये रंगरूटों के लिए बड़ा महत्व रखता है .
सादर
क्या बात है अलबेला जी बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने। दिली दाद कुबूल करें। ये शेर के तो मशाल्लाह क्या कहने...मज़ा आ गया। मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी , आने वाला है ज़माना प्यार का॥
साभार !
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