For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो लिक्खेंगे ज़माने से कभी हट कर न लिक्खेंगे....

तुम्हारी हक़ बयानी को कभी डर कर न लिक्खेंगे ...
कि आईने को हरगिज़ हम कभी पत्थर न लिक्खेंगे...

रहे इश्को वफ़ा में ये तो सब होता ही रहता है..
तुम्हारी आज़माइश को कभी ठोकर न लिक्खेंगे....

भरोसा क्या कहीं भी ज़ख्म दे सकता है हस्ती को........
हम अपने दुश्मने जां को कभी दिलबर न लिक्खेंगे.....

तू क़ैदी घर का है, हम तो मुसाफिर दस्तो सहरा के....
कहाँ हम और कहाँ तू हम तुझे हमसर न लिक्खेंगे.....

उड़ानों से हदें होती है कायम हर परिंदे कि ....
रहीने आशियाँ है जो उसे शहपर न लिक्खेंगे...

हमारी सोच है अपनी जगह दुनिया से क्या मतलब..
जो लिक्खेंगे ज़माने से कभी हट कर न लिक्खेंगे....

भटकने कि जरुरत क्या है अब राहे तमन्ना में...
जो खुद गुमराह है उसको कभी रहबर न लिक्खेंगे...

बजा अपनी जगह रिज़वान सब है खुशनुमां पय्कर,
जो कूज़ा है उसे हरगिज़ कभी सागर न लिक्खेंगे....

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on July 21, 2012 at 3:31pm

शुक्रिया

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 21, 2012 at 12:30pm

रिजवान भाई बहुत उम्दा ग़ज़ल पेश की है...हर एक शेर लाजवाब है । बहुत बहुत बधाई !!!

Comment by वीनस केसरी on July 20, 2012 at 1:57am

वह रिजवान साहब वाह
क्या कहने
आला दर्जे के अशआर हैं
बधाई स्वीकारें ....

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on July 18, 2012 at 4:54pm
Thanx
Comment by अरुन 'अनन्त' on July 18, 2012 at 3:30pm

वाह रिजवान भाई तबियत बदल गयी, बहुत खूब बधाई

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 18, 2012 at 2:38pm

भटकने कि जरुरत क्या है अब राहे तमन्ना में...
जो खुद गुमराह है उसको कभी रहबर न लिक्खेंगे...

वाह साहब वाह! ढेरों दाद है इस बेहतरीन कलाम के लिए!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service