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एक गुड़िया जो बहुत ही सस्ती है।लोग उसे खरीदते हैं चंद रुपयों में।बच्चों की खातिर या सजाने के लिए।वे गुड़ियां जो तराशबीनों के हाथ पड़ती हैं,उन्हें वे विविध रूपों में तराशते हैं और फिर उसे चौकीदार की नौकरी दे देते हैं,बिना प्रमाण पत्र के।वह गुड़िया किसी मेज या स्टूल या आलमारी पर रात-दिन खड़ी रहती है,पहरा देती है बिना वेतन के।
वहीं वे गुड़ियां जो नादान बच्चों के हाथ जाती हैं,उन्हें वे पटकते हैं,धूल पोतते हैं,शादी रचाते हैं,जूड़ा बांधते हैं और फिर अपन पास रखकर सोते हैं।उसे थपकी दे देकर सुलाते हैं,लेकिन उसे सुलाते सुलाते खुद सो जाते हैं।परन्तु उस गुड़िया की आंख से नींद गायब है,क्योंकि वह नादान बच्चे के बेसुध तन से कुचली जा रही होती है।
उस बेचारी के होंठों पर तैरती है एक मासूम हंसी,जो किसी रोबोट की हंसी के जैसा लगता है।वह कभी ठठाकर नहीं हंसती,शायद उसके अंदर जिह्वा नहीं है।वह बैठती नहीं,शायद कोई आलम्ब नहीं है।वह सोती भी नहीं,क्योंकि एक गुड्डे से शादी करके उसकी नींद जा चुकी है।और न ही वह कुछ सुनती है क्योंकि उसके कान में सुराख नहीं है।
वह खड़ी रहती है हरपल,जागती रहती है दिन-रात।न जाने क्यों?
एक रात मेरा बेटा उसे सुला रहा था,उसने बहुत बार ठोंका,मगर कमबख्त आंख है या ब्लव।फिर भी ब्लव भी बुझता है,लेकिन उसकी आंख ताकती रहती है हमेशा,टुकुर!!!!!! टुकुर!!!!!!
उसने मुझसे पूंछा-पापा इसकी धौंकनी नहीं चल रही है और न ही हाथ-पैर हिला रही है।पापा गुड़िया सोती क्यों नहीं?इसे क्या हो गया है?
मैं कहना चाह रहा था कि गुड़िया निर्जीव है,मगर कह नहीं पाया।क्योंकि मुझे अंदेशा है-आखिर गुड़िया निर्जीव कैसे हो सकती है?

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