For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम उनके कर्ज़दार नहीं,वोह मेरे कर्ज़दार हैं
हम तो आज भी सर आँखों पे बिठाने को तैय्यार हैं
वोह चाहे तो आजमा ले, हम जीत जाएँगे
हमें अपनी दिल्लगी पे ऐतवार है

***(न सुना पाऊंगा) ***
 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बुझ जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----


(1)धुँधली सी हो गयी यादें हम भूले तो नहीं 
अब तो लगता ही नहीं भूल कभी पाऊंगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----


(2)दीपक 'कुल्लुवी' हूँ मुझे कितना जलाओगे अभी 
यह न समझो मैं यूँ जलने से डर जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----


(3)दूर इतने हुए क्या पास न आओगे कभी 
आखरी गीत है फिर भी न सुना पाऊंगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----


(4)अपनीं फितरत में ही जलना था जले,जलते रहे 
यह न समझो मैं मौसम सा बदल जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----


(5)याद  रखेंगे तुम्हें वादा निभाएँगे  सनम 
यह तो मुमकिन नहीं वादों से मुकर जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----


(6)दर्द-ओ-ग़म सहते रहे हँसके हम टूटे तो नहीं 
यह न सोचो मैं शीशे सा बिखर जाऊँगा 
न करोगे तो कभी याद नहीं आऊँगा 
जलता 'दीपक'हूँ हवाओं से तो बु----

दीपक शर्मा कुल्लुवी 
09350078399
10-12-12.

सुर क्षेत्र में 'दिलजान' की गायी ग़ज़ल से प्रेरित होकर उसी धुन पर लिखी मेरी रचना I  

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 17, 2014 at 12:34pm

आज जिनका भी  जन्मदिन है उन मित्रों को को मुबारकवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
4 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
22 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
22 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
23 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service