For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरकार के सरकारी पुलाव

सरकार के काम करने के अपने तौर-तरीके होते हैं और वह जैसा चाहती है, वैसा काम कर सकती है। भला आम जनता की इतनी हिम्मत कहां कि उन्हें रोक सके। सरकारी कामकाज में सरकार और उनके मंत्रियों की मनमानी तो जनता वैसे भी एक अरसे से बर्दाष्त करती आ रही है। जनता तो बेचारी बनकर बैठी रहती है और सरकार भी हर तरह से उनकी आंखों में धूल झोंकने से बाज नहीं आती। विकास के नाम पर सरकार के सरकारी पुलाव तो जनता पचा जाती है, मगर जब सुुरक्षा की बात आती है तो फिर जनता के पास रास्ते नहीं बचते। वैसे तो सरकार का दायित्व बनता है कि वे जनता की हिफाजत के लिए तमाम तरह की पहल करे और नीतियां बनाए, किन्तु यह सब ना हो तो फिर जनता आखिर जाएं तो जाएं कहां ? जनता इन्हीं बातों को सोच-सोचकर आधी हुई जा रही है, पर सरकार के कारिंदे हैं कि दोहरा हुए जा रहे हैं।
इन दिनों देष के कई इलाकों में हो रहे माओवादी और नक्सली हमले से मेरा दिल दहला हुआ है और जनता भी भयभित है, मगर सरकार है कि बातों-बातों के सरकारी पुलाव पकाने से बाज नहीं आ रही है। खून के प्यासे फल-सब्जियों की तरह निर्दोश लोगों के गला रेते जा रहे हैं और सरकार में बैठे ओहदेदार नुमाइंदे बयान देकर चुप बैठ जाते हैं। हम तो समझ ही नहीं पा रहे हैं कि ये जान के दुष्मन आखिर सरकार की नीतियांे के खिलाफ हैं या फिर जनता के बीच दहषतगर्दी फैलाना चाहते हैं। रोज-रोज की झंझट से जनता भी त्रस्त है, लेकिन सरकार के पास सरकारी पुलाव जो है, उसी से सरकार अपना काम चला रही है। इन घटनाओं के आगे महंगाई जैसी देष की सबसे बड़ी समस्या गौण हो चुकी हैं। बाहर में बैठे जनता के सेवक भी इस बात को भूले बैठे हैं, क्योंकि इन हिंसाओं के बाद इसके उपर और किसी तरह की समस्या हो ही नहीं सकती। देष के आधे राज्य इस आग में जल रहे हैं, पांच प्रदेषों में तो जनता बेचारी ऐसी ही मारी जा रही है।ं सरकार देखती है, सुनती है और चिंता व्यक्त करती है, लेकिन माथे पर चिंता की एक भी षिकन कहीं नहीं दिखता, आसमान को सिर पर उठाने जैसी हरकत जरूर होती है। देष में तमाम तरह की समस्याएं हैं और सरकार इन समस्याओं को मिनटों में खत्म करने का दावा करती है, या कहें कि कुछ ही मामले, तुरंत-फुरत निपटाए भी जाते हैं, लेकिन देष की इस गंभीर समस्या पर सरकार ने कितना कदम आगे बढ़ाया है, यह तो पता नहीं चलता, मगर सरकार पुलाव के कड़ा स्वाद का पता जरूर चल जाता है।
मैं देष की इस बड़ी समस्या से सहम गया हूं और सोच रहा हूं कि जब सरकार कुछ कर नहीं सकती तो फिर जनता के हितों की रक्षा की ताल ठोंकने का भला क्या मतलब। जतना चिल्ला-चिल्लाकर थक जा रही है और प्रभावित क्षेत्रों में जान लेने की बीमारी कोढ़ की तरह बढ़ती जा रही है, किन्तु सरकार किस धुन पर राग मिला रही है, इसे जनता समझ नहीं पा रही है। केवल चिंता जता लेने से ही समस्या खत्म होने वाली नहीं है, लेकिन उनको कौन समझाए कि इस तरह इस मर्ज का इलाज संभव नहीं है। सरकार तो उनसे बात करना चाहती है और दुष्मन है कि मिठी बातों का जवाब, बंदूक की गोलियों से देता है। हम यही मानते हैं कि बातचीत से जरूर छोटी-मोटी समस्या को सुलझायी जा सकती हो,ं पर यह बीमारी ऐसी हो गई है, जिस पर फौरी तौर पर कोई दवा नहीं खोजी गई तो फिर यह एक ऐसी संक्रामक बीमारी का रूप ले लेगी, जिसके प्रभाव से ना तो जनता बच पाएगी और ना ही सरकार। फिर सरकार के सरकारी पुलाव, धरी की धरी रह जाएंगे। बातों से किसी से वैचारिक जीत संभव है, लेकिन मौत की इस लड़ाई में माहिर उन लोगों से ऐसे जीत लेने की उम्मीद करना, उस तरीके से हो जाता है, जैसे पत्थर से पानी निकालना।
अब तो मेरा दिल भर आया है और मैं सोच रहा हूं कि आखिर यह मौत का आतंक रूकेगा कब, और जनता कब, चैन की नींद सो पाएगी ? हम यही कहेंगे कि तब, जब सरकार अपने सरकारी पुलाव के कड़वा स्वाद से सबक लेना सीख जाएगी।

राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़
लेखक व्यंग्य लिखते हैं

Views: 331

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 3, 2010 at 8:24pm
राजकुमार साहू जी, आपकी शैली जबरदस्त है, व्यंग आपका धीरे धीरे गहरा घाव करने मे सक्षम है , टंकण की कुछ त्रुटियाँ परिलक्षित है | बधाई आपकी इस सुंदर व्यंगात्मक आलेख के लिये |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service