कैसे कहूँ? दिल में है जो
छोड़ता हूँ, रहता है वो
ढूंढता हूँ लफ्ज़ कोई
कोई बयाँ, बात कोई
.
कहता हूँ, थोड़ा रुकना
चाँद मेरे! ना छुपना ...
.
चलते हुए आगे-पीछे
तेरी दोनों आँखें नीचे
राह तुझे याद तो है
रात तुझे याद तो है
.
वो भी कोई दिन था
हाँ मैं तेरे बिन था ...
.
कैसे कहूँ? इस दिल में है जो ???
.
कुछ समझ में आता नहीं
औ' बता भी पाता नहीं
देखता हूँ, जानता हूँ
सोचता हूँ, मानता हूँ
.
तू मैं जो वो ये ही
कोई है कोई नहीं ...
(मौलिक व अप्रकाशित)
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धन्यवाद
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