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कैसे कहूँ? (एक गीत)

कैसे कहूँ? दिल में है जो 
छोड़ता हूँ, रहता है वो 
ढूंढता हूँ लफ्ज़ कोई 
कोई बयाँ, बात कोई 
.
कहता हूँ, थोड़ा रुकना 
चाँद मेरे! ना छुपना ... 
.
चलते हुए आगे-पीछे 
तेरी दोनों आँखें नीचे 
राह तुझे याद तो है 
रात तुझे याद तो है 
.
वो भी कोई दिन था 
हाँ मैं तेरे बिन था ...
.
कैसे कहूँ? इस दिल में है जो ???
.
कुछ समझ में आता नहीं 
औ' बता भी पाता नहीं 
देखता हूँ, जानता हूँ 
सोचता हूँ, मानता हूँ 
.
तू मैं जो वो ये ही 
कोई है कोई नहीं ...

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Priya Ranjan on January 22, 2013 at 6:08pm

धन्यवाद 

Comment by ram shiromani pathak on January 22, 2013 at 5:35pm

 सुन्दर रचना आदरणीय !!!

कृपया ध्यान दे...

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