For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या प्रेम मात्र एक भ्रम है,
जिसका न कोई नियम है।
या है प्राणों की विकलता,
जिस पर न सधा संयम है।
जीवन का जो प्रकाश बना,
फिर वही अँधेरा बनता है।
न्यौछावर करके तन-मन सब 
विवशता का छत्र तनता है।
देता है न दिखाई कुछ भी,
जब सम्मुख प्रेम उपस्थित हो।
मन क्यों चंचल हो जाता है,
क्यों आत्मा में न केन्द्रित हो?
जाने कब कौन हृदय को,
कैसे लुभा कर भरमाता है?
क्षण-क्षण उसकी स्मृति को 
फिर हृदय चिंतन में लाता है।
जब मिलते हैं प्रेमी परस्पर,
संयोग बन जाते हैं तब दुर्योग।
आते हैं न जाने कितने संकट,
बन जाता है मिलन तब वियोग।
फिर होता है विखंडित प्रेम,
सब छिन्न-भिन्न हो जाता है।
पाया था जो भी सुख-संसार,
वह नष्ट-भ्रष्ट हो जाता है।
रह जाती हैं फिर शेष स्मृतियाँ,
जो मन को तड़पाती हैं।
आंसुओं के सागर में डूबकर 
जैसे सांसें ही थमती जाती है।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

 

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on April 7, 2013 at 12:30am

आदरणीय कुंती जी,सादर नमस्कार!
प्रेम तो जीवन का महत्वपूर्ण अंग है।इसके बिना जीवन नीरस है।प्रेम को परिभाषित करना अत्यंत कठिन कार्य है और मैंने तो बहुत छोटा- सा प्रयास किया है।मेरे प्रयास को सराहने हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by Savitri Rathore on April 7, 2013 at 12:24am

आदरणीय सौरभ जी,सादर नमस्कार !
आपके शब्द मेरा मार्गदर्शन करते हैं,आप सबकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने का पूरा-पूरा प्रयास करूँगी और आशा है कि आप समय-समय पर ऐसे ही मेरा मार्गदर्शन करते रहेंगे।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2013 at 1:25pm

सावित्रीजी, इस भावोद्गार को क्या ही अच्छा होता कविता का सुगढ़ रूप दिया जाता है. यह सही है कि भावनाओं का संप्रेषण ही कविता है किन्तु यह संप्रेषण काव्यगत साधन चाहता है. कविता कैसी भी हो   --अतुकांत या तुकांत--   विधाजन्य कसावट मांगती है. 

बहरहाल इस प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by coontee mukerji on April 1, 2013 at 12:34am

सावित्री जी ,प्रेम का ये भी एक रूप है .माना कि वियोग में बहुत कष्ट्दायी होता है मगर

कालांतर में यही प्रेम एक सुखद स्मृति बनकर रह जाती है . सुंदर उदगार के लिये बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service