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कारगिल युद्ध पर उसे गर्व है? (घनाक्षरी)

कारगिल हार के जो, हार पे ही गर्व करे,
हार जूतियों का उस नीच को पिन्हाइये।
एक से न काम चले, जूता एक और मिले,
भाई एक जोड़ी मेरा, पूरा करवाइये॥
पाक पाप धूर्तबाज, कल बल छल बाज,
कपटी से शांति बात, भूल मन जाइये।
अफजल कसाब ज्यों, मनुजता के शत्रु को,
फांसी पर चढ़ाओ या, तोप से उड़ाइये॥

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 1, 2013 at 6:13am

निशाना सही था, क्योंकि जूता भी नाक पर ही लगा था!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 31, 2013 at 10:58pm

भाई विनय जी आप अच्छा लिखते है और लिख रहे हैं.... फिर क्यों ऐसे लोगों पर अपना जूता बर्बाद कर रहे हैं | :-D
खैर, अच्छी रचना लिखी है... साधुवाद ।

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