For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनुभूति तुम्हारे प्यार की

 कह सकती हूँ अकेले ,
पर बाँट सकती हूँ,तुम्हारे संग |

मुस्करा सकती हूँ अकेले ,
पर हंस सकती हूँ तुम्हारे संग |

आनंद ले सकती हूँ अकेले ,
पर जश्न मना सकती हूँ तुम्हारे संग |

यही है सुन्दरता हमारे रिश्ते की |
हम एक दूसरे बिन कुछ भी नहीं | |

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on May 31, 2013 at 8:27am

सभी आदरणीय जनों का हार्दिक आभार मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए ,post करते हुए डर रही थी ,यहाँ बहुत गुणीजन बैठे हैं पता नहीं कैसी प्रतिक्रिया आएगी परन्तु सब ने जो उत्साह बढाया है आगे कुछ भी रचना post करने में मेरा आत्मिक बल बढाएगा और मेरी लेखनी को प्रबल करने में सक्षम होगा ,तह दिल से सभी का शुक्रिया ,मार्गदर्शन करते रहें 

सादर 

सरिता भाटिया 

Comment by vijay nikore on May 29, 2013 at 9:20pm

आदरणीया सरिता जी:

 

आपकी यह अच्छी रचना न जाने कैसे पढ़ने से रह गई।

प्रत्येक पंक्ति में भाव मार्मिक हैं।

 

बधाई।

विजय निकोर

Comment by Priyanka singh on May 22, 2013 at 11:24pm

सुन्दर.......बधाई सरिता जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2013 at 10:58pm

छोटी सी मगर सुन्दर रचना आदरणीया सरिता भाटिया जी. सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by किशन कुमार "आजाद" on May 20, 2013 at 9:01pm

बहुत सुन्दर हे

Comment by बृजेश नीरज on May 20, 2013 at 8:19pm

अच्छी है। बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 17, 2013 at 8:50pm

गहन एवं सत्य प्रेम की एक अलग और अनोखी रचना, रूहानी प्रेम को बहुत ही सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने, हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Sarita Bhatia on May 17, 2013 at 7:35pm

चिराग जी तहेदिल से शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on May 17, 2013 at 7:35pm

विजय मिश्र जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on May 17, 2013 at 7:34pm

शुभाशीष शिरोमणि पाठक ,शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service