For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : बनना हो बादशाह तो दंगा कराइये

बह्र : २२१ २१२१ १२२१ २१२

 

सत्ता की गर हो चाह तो दंगा कराइये

बनना हो बादशाह तो दंगा कराइये

 

करवा के कत्ल-ए-आम बुझा कर लहू से प्यास

रहना हो बेगुनाह तो दंगा कराइये

 

कितना चलेगा धर्म का मुद्दा चुनाव में

पानी हो इसकी थाह तो दंगा कराइये

 

चलते हैं सर झुका के जो उनकी जरा भी गर

उठने लगे निगाह तो दंगा कराइये

 

प्रियदर्शिनी करें तो उन्हें राजपाट दें

रधिया करे निकाह तो दंगा कराइये

 

मज़हब की रौशनी में व शासन की छाँव में

करना हो कुछ सियाह तो दंगा कराइये

-----

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 897

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 18, 2013 at 10:14pm

बहुत बहुत शुक्रिया ram shiromani जी

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:55pm

करवा के कत्ल-ए-आम बुझा कर लहू से प्यास

रहना हो बेगुनाह तो दंगा कराइये

 

कितना चलेगा धर्म का मुद्दा चुनाव में

पानी हो इसकी थाह तो दंगा कराइये

 

चलते हैं सर झुका के जो उनकी जरा भी गर

उठने लगे निगाह तो दंगा कराइये

वाह !! आदरणीय धर्मेन्द जी , लाजवाब गज़ल कही आपने,  हर शेर बेमिसाल हैं !!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया पियुष द्विवेदी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:07pm

 बहुत बहुत धन्यवाद 'वेदिका' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया  विजय मिश्र जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:05pm

बहुत बहुत धन्यवाद बागी जी। आपने पसंद किया, लेखन सफल हुआ। 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:04pm

बहुत बहुत शुक्रिया annapurna bajpai जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:04pm

बहुत बहुत धन्यवाद अरुन शर्मा 'अनन्त' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:03pm

बहुत बहुत शुक्रिया रविकर जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2013 at 9:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया डॉ. सूर्या बाली "सूरज" जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
9 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service