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ग़ज़ल की बहरें समझना बहुत टेढ़ी खीर है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बहर के बारे में जानकारी तो बहुत ज्यादा मिल जाती है अंतर्जाल पर पर कहीं भी व्यवस्थित ढंग से नहीं मिलती। तो जहाँ सूचना ज्यादा हो वहाँ उसको…Continue
Started this discussion. Last reply by Admin Jan 30, 2011.
बह्र : 221 2121 1221 212
ज़ालिम बढ़ा दे ज़ुल्म ज़रा हर ख़ता के बाद
होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद
किसने बदल दिया है ये कानून देश का
होने लगी है जाँच यहाँ अब सज़ा के बाद
बीमारियों से देश बचा लोगे जान…
ContinuePosted on September 13, 2023 at 8:17pm — 1 Comment
पास आ गया है बेहद
जब से चुनाव फिर संसद का
राजनीति की चिमनी जागी
धुँआँ उठा है नफ़रत का
आहिस्ता-आहिस्ता
सारी हवा हो रही है जहरीली
काले-काले धब्बों ने …
ContinuePosted on August 2, 2023 at 8:26pm — 4 Comments
महावृक्ष बनकर लहराता
नफ़रत का पौधा
पत्ते हरे फूल केसरिया
लाल-लाल फल आते
प्यास लहू की लगती जिनको
आकर यहाँ बुझाते
सबसे ज्यादा फल खाने की…
ContinuePosted on April 26, 2023 at 9:53am — 4 Comments
मैना बैठी सोच रही है
पिंजरे के दिल में
मिल जाता है दाना पानी
जीवन जीने में आसानी
सुनती सबकी बात सयानी
फिर भी होती है हैरानी
मुझसे ज्यादा ख़ुश तो
चूहा है अपने बिल में
जब तक बोले मीठा-मीठा
सबको लगती है ये सीता
जैसे ही कहती कुछ अपना
सब कहते बस चुप ही रहना
अच्छी चिड़िया नहीं बोलती
ऐसे महफ़िल में
बहुत सलाखों से टकराई
पर पिंजरे से निकल न पाई
चला न…
ContinuePosted on November 16, 2022 at 11:30am — 4 Comments
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...
" जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें " आदरणीय धर्मेन्द्र जी
स्वागत है धर्मेन्द्र जी
भाई धर्मेन्द्रजी,
सरल, सफल, सहज, सुगढ़
सुफल, सुमिल, सुधी
सस्वर.. .
संयत, सुहृद, सुभाव, सशब्द
संभव सदा
सबल-प्रखर.. .
शुभभावना-शुभकामना-सुसंस्मरण संप्रेष्य है !
अनेकानेक बधाइयाँ.
कविता शुचिता शिल्प से, शोभित मित्र कविन्द्र.
जन्मदिवस शुभकामना, भाई जी धर्मेन्द्र.. सादर
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय धर्मेन्द्र सर.........
जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए स्वीकारे आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,
प्रभु आपको समाज और देश निर्माण में योगदान देने की शक्ति प्रदान करे | आपका
हमारा स्नेह बना रहे |
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