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में तो रुक रुक कर सुना रहा था हाल ए दिल

में तो रुक रुक कर सुना रहा था हाल ए दिल
उनको मेरी हर बात ग़ज़ल सी लगी

में तो दीवानगी में चल पड़ा था उस रस्ते पर
उनको ये कोशिश पहल सी लगी

कोई कमी तो नहीं थी जश्न तब भी था
तुम आये तो महफ़िल मुकम्मल सी लगी

मुफलिसी में गया था सुदामा मिलने कृष्ण को
भर के लाया प्रेम तो कुटिया महल सी लगी

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Comment

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Comment by Bhasker Agrawal on January 5, 2011 at 8:07pm
धन्यवाद नविन जी आपके कमेन्ट का मुझे हमेशा इन्तजार रहता है
Comment by Bhasker Agrawal on January 1, 2011 at 5:04pm
धन्यवाद लता जी
Comment by Lata R.Ojha on December 31, 2010 at 9:25pm
bahut khoob bhaskar ji  :)

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