For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा...

कल मैंनॆ भी सोचा था कॊई, श्रृँगारिक गीत लिखूं ,

बावरी मीरा की प्रॆम-तपस्या, राधा की प्रीत लिखूं ,

कुसुम कली कॆ कानों मॆं,मधुर भ्रमर संगीत लिखूं,

जीवन कॆ एकांकी-पन का,कॊई सच्चा मीत लिखूं,

एक भयानक सपनॆं नॆं, चित्र  अनॊखा खींच दिया,

श्रृँगार सृजन कॊ मॆरॆ, करुणा कृन्दा सॆ सींच दिया,

यॆ हिंसा का मारा भारत, यह पूँछ रहा है गाँधी सॆ,

कब जन्मॆगा भगतसिंह, इस शोषण की  आँधी सॆ,

      राज-घाट मॆं रोता गाँधी, अब बॆवश लाचार लिखूंगा !!

      दिनकर का वंशज हूं मैं, श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा !!!!

                       

चिंतन बदला दर्शन बदला, बदला हर एक चॆहरा,

दही दूध कॆ सींकॊं पर, लगा बिल्लियॊं का पहरा,

इन भ्रष्टाचारों की मंडी मॆं, बर्बाद बॆचारा भारत है,

जलती हॊली मे फंसा हुआ,प्रह्लाद हमारा भारत है,

जीवन का कडुआ सच है, छुपा हुआ इन बातॊं मॆं,

अधिकार चाहिए या शॊषण,चयन तुम्हारॆ हाथॊं मॆं,

जल रही दहॆज की ज्वाला मॆं,नारी की चीख सुनॊं,

जीवन तॊ जीना ही है, क्रांति चुनॊं या भीख चुनॊं,


      स्वीकार तुम्हॆं समझौतॆ, मुझकॊ अस्वीकार लिखूंगा !!                          

      बरदाई का वंशज हूं मैं,  श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा  !!!!

      दिनकर का वंशज हूं मैं...........

 

उल्टी-सीधी चालें दॆखॊ, नित शाम सबॆरॆ कुर्सी पर,

शासन कर रहॆ दुःशासन,अब चॊर लुटॆरॆ कुर्सी पर,

सत्ता-सुविधाऒं पर अपना, अधिकार जमायॆ बैठॆ हैं,

गांधी बाबा की खादी कॊ, यॆ हथियार बनायॆ बैठॆ हैं,

कपट-कुटी मॆं बैठॆ हैं जॊ, परहित करना क्या जानॆं,

संगीनॊं कॆ सायॆ मॆं यॆ, सरहद का मरना क्या जानॆं,

अनगिनत घॊटालॆ करकॆ भी,जब पा जायॆं बहाली यॆ,

अमर शहीदॊं कॆ ताबूतॊं मॆं, क्यूं ना खायॆं दलाली यॆ,


      इन भ्रष्टाचारी गद्दारॊं का, मैं काला किरदार लिखूंगा !!

      नज़रुल का वंशज हूं मैं, श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा !!!!

      दिनकर का वंशज हूं मैं...........     

 

कण-कण मॆं सिसक रही,आज़ाद भगत की अभिलाषा,

अब्दुल हमीद की साँसॆं पूंछें, हैं आज़ादी की परिभाषा,

कब भारत की नारी कब, दामिनी बन कर दमकॆगी,

कब चूडी वालॆ हाँथॊं मॆं, वह तलवार पुरानी चमकेगी,

अपनॆं अपनॆं बॆटॊं कॊ हम, दॆश भक्ति का पाठ पढा दॆं,

जिस माँ की गॊदी खॆलॆ, उसकॆ चरणॊं मॆं भॆंट चढा दॆं,

भारत माँ कॆ बॆटॊं कॊ ही, उसका हर कर्ज चुकाना है,

आऒ मिलकर करॆं प्रतिज्ञा, माँ की लाज  बचाना है,

     सिसक रही भारत माँ की, मैं बहती अश्रुधार लिखूंगा !!

     कवि-भूषण का वंशज हूं मैं,श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा !!!!

     दिनकर का वंशज हूं मैं..............

 

                                                                "कवि-राजबुंदॆली"              

                                 

 

 

 

Views: 385

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश शर्मा on March 3, 2011 at 8:01pm
  राजबुंलेदी जी,महीने के सर्वश्रेष्ठ ब्लोगर बनने पर हार्दिक बधाई।
Comment by रवि बेक on February 20, 2011 at 7:41am
मन खुश हो गया ...
बधाई हो राजबुंलेदी जी
Comment by Abhinav Arun on February 7, 2011 at 3:02pm
raja jee badhaaee is rachna ke chayan par | aur badhaae is rachna kee taakat ke liye | bahut sundar aur prabhaavee kavy |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service