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आधार छन्द : 16+14 लावणी व कुकुभ मिश्रित,,
कोयल कुहुकी मैना बोली,भौंरे गूँजे भोर हुई ।।
आँख चुराये चन्दा भागा,रैन बिचारी चोर हुई ।।
कोयल कुहुकी,,,,
पूरब में ज्यों लाली निकली,सजा आरती धरा खड़ी,
उत्तुंग हिमालय पर लगता,कंचन की हो रही झड़ी,
बर्फ लजाकर लगी पिघलने,हिमनद रस की पोर हुई ।।(1)
कोयल कुहकी मैना बोली,भौंरे,,,,
सात अश्व के रथ पर चढ़कर,आ गए दिवाकर द्वारे,
स्वागत में मुस्काई कलियाँ,भँवरों नें मन्त्र उचारे,
सूर्यमुखी को देख…
Posted on January 18, 2017 at 12:00am — 4 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२२
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गुनगुनाकर देखिएगा आप भी यह गीत मेरा ।।
दोपहर की धूप में आभास होगा नव सवेरा ।।
गुनगुनाकर देखिएगा,,,,,,,
तप्त सूरज शीश पर जब अग्नि वर्षा कर रहा हो,
ऊष्णता के हृदविदारक तीर तरकस भर रहा हो,
तब प्रभाती गीत की तुम छाँव में करना बसेरा ।।(1)
दोपहर की धूप में,,,,,,,,,,,,,
गुनगुनाकर देखिएगा,,,,,,,
कोकिला के कण्ठ से माँ भारती का गान सुनना,
व्योम में प्रतिध्वनित होती सप्त सरगम…
Posted on January 13, 2017 at 7:30pm — 7 Comments
वज़्न : 1222 1222 1222 1222
मिलेंगी कुर्सियाँ लेकिन सियासी फ़न ज़रूरी है ।।
जुटाना है अगर बहुमत लचीलापन ज़रूरी है ।।(1)
कई पतझड़ यहाँ आके गये अफ़सोस मत करिये,
बहारों के लिए हर साल में सावन ज़रूरी है ।।(2)
हवाओं नें कसम खा ली जले दीपक बुझाने की,
उजाला ग़र बचाना है खुला दामन ज़रूरी है ।।(3)
वफ़ा की बात करते हो मियाँ इस दौर में तुम भी,
जहाँ शतरंज की बाज़ी बिछी हो धन ज़रूरी है ।।(4)
अगर कोई कहे तुमसे बताओ प्यार के मानी,…
Posted on January 11, 2017 at 11:30pm — 12 Comments
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Comment Wall (13 comments)
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
आदरणीय कवि - राज बुन्दॆली जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...
आ० बुन्देली जी
आपकी मित्रता मेरे लिए गौरव का विषय है . मेरा मोबा . नं 9795518586 है . सादर .
आदरणीय राज बुन्देली जी बहुत बहुत धन्यवाद . मेरा हौसला बढाने के लिये शुक्रिया .
फ़िर भी क्या उसकॊ नाज़ है,खुदा जानॆ
नाज क्या है? के स्थान पर किस पर है? अधिक सटीक होगा.
रचना विडम्बनाओं और विसंगतियों को उद्घाटित करती है.
WAH JI WAH SUNDAR RACHNAYEN
आदरणीय राज बुन्देली जी
पूर्व में आपके कमेंट्स बॉक्स पर ओ बी ओ नियमो का हवाला देते हुए पूर्व प्रकाशित रचनाओं को ओ बी ओ पर पोस्ट करने से मना किया गया था, किन्तु फिर भी लगातार पूर्व प्रकाशित रचनाएँ ओ बी ओ पर अनुमोदन हेतु आपके द्वारा पोस्ट किया जा रहा है |
ऐसा लग रहा है कि ओ बी ओ नियमों का पालन करने में आपकी रूचि नहीं है, आपसे पुनः नम्र निवेदन है कि ओ बी ओ नियमों का पालन करते हुए किसी भी वेब साईट / ब्लॉग स्पोट आदि पर पूर्व प्रकाशित रचनाओं को ओ बी ओ पर प्रकाशन हेतु न भेजे, यहाँ केवल अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार कि जाती है | कृपया सहयोग करे |
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन
प्रिय सदस्य
आपकी रचना अनुमोदन हेतु प्राप्त है, किन्तु यह रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण अनुमोदित नहीं किया जा सकता, ओपन बुक्स ऑनलाइन के नियमानुसार केवल अप्रकाशित रचनाओं का ही अनुमोदन किया जाता है, अधिक जानकारी हेतु नीचे दिए गए लिंक पर ओ बी ओ नियम देखे |
http://www.openbooksonline.com/page/5170231:Page:12658
आपका
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आदरणीय कवि राजबुन्देली जी,
आपकी कविता को महीने का सर्वश्रेस्थ ब्लॉग चुने जाने पर बहुत बहुत बधाई.....आशा है आयेज भी आपकी रचनाएँ ऐसे ही पढ़ने को मिलती रहेंगी....
आपका
प्रीतम तिवारी(प्रीत)
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय कवि राजबुन्देली जी,
प्रणाम !
आपकी कविता को महीने का सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग (Best Blog of the Month) चुने जाने पर बधाई स्वीकार करे, उम्मीद है कि आगे भी आप कि रचनायें और अन्य रचनाओं पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणियाँ पढ़ने को मिलती रहेगी,
आपका
गनेश जी "बागी"
आदरणीय कवि राजबुन्देली जी ,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की कविता "श्रृँगार नहीं अंगार लिखूंगा" को महीने का सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग (Best Blog of the Month) के रूप मे सम्मानित किया गया है तथा ओपन बुक्स ऑनलाइन के मुख्य पृष्ठ पर आपके छाया चित्र के साथ स्थान दिया गया है,
इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे,धन्यवाद,
आपका
एडमिन
OBO
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