1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2
चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सदा आवाम से पहले//
बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था
वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //
भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//
शहादत व्यर्थ उनकी यूँ नहीं अब तुम करा देना
नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//
वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम
सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले //
सनम जो देश को समझो तभी नजरे इनायत हो
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //
.....................................
................मौलिक व अप्रकाशित...............
Comment
आदरणीय आशुतोष जी शुक्रिया
अरुण शुक्रिया , आपके अनुसार गजल में कुछ सुधार किया है,आशा है आगे भी मार्गदर्शन बना रहेगा
आदरनीया सरिता जी ...इस सुंदर ग़ज़ल का ये शेर मुझे बेहद भाया..सादर बधाई के साथ
आदरणीया सरिता जी ग़ज़ल पर आपका प्रयास बहुत ही बढ़िया है सभी अशआर पसंद आये, कुछ अशआरों पर मैं अपने विचार रख रहा हूँ कृपया अन्यथा ने लें.
चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सभी आवाम से पहले// ( सभी को सदा कर दें तो कैसा रहेगा)
भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा विधाता नाम से पहले// ( विधाता की जगह अगर खुदाके नाम पहले हो तब)
शहादत व्यर्थ यूँ उनकी नहीं अब हो सके ऐसे
नसीहत मानना उनकी किसी/सरे मुकाम से पहले// .. इसमें तदाबुले रदीफ़ का दोष है साथ ही साथ शे'र बेबहर भी है.
बाकी सभी अशआर बहुत ही सुन्दर हैं मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online