जीवन के पथ हैं सरल ,अगर सही हो सोच
जीवन की इस दौड़ में ,आती रहती मोच /
आती रहती मोच ,बैठ कर रुक मत जाना
आगे की लो सोच लक्ष्य जल्दी यदि पाना
अगर सारथी कृष्ण दौड़ते जीवन रथ हैं
यदि हौंसले बुलंद, सरल जीवन के पथ हैं//
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीया सरिता जी, आप कृपया छंद विधान समूह में सम्बंधित पोस्ट और उसमें दिए उदाहरण देख लें.
सादर!
आदरणीय शीज्जू जी शुक्रिया आपको मेरे प्रयास पसंद आ रहे हैं
अरुण ह्रदय से आपकी हमेशा हि आभारी हूँ , आपको अस्वस्थ क्यों किया मेरी रचना ने plz बताएं आपको जल्दी स्वस्थ देखना चाहती हूँ
आदरणीय ब्रिजेश जी हार्दिक आभारी हूँ आपकी यथोचित गलतियाँ इंगित करने से मेरी रचनाओं में हमेशा ही सुधार हुआ है
लेकिन यहाँ तक मैं जानती हूँ कुण्डलिया में जिस शब्द या शब्द-समूह से यह प्रारंभ होता है उसी शब्द या शब्द-समूह से इसका समापन भी किया जाता है | कृपया अगर मुझे फिर भी गलती लग रही है तो कृपया बता दें ,हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीया सरिता जी निस्संदेह आपकी हर विधाओं में उपस्थिति आपकी मेहनत और सीखने की ललक को दर्शाता है, इस खूबसूरत संदेश देती कुण्डलिया छंद के लिये बधाई स्वीकार करें, और शेष आदरणीय बृजेश जी ने कह ही दिया है
आदरणीया सरिता जी आपकी इस कुण्डलिया छंद ने मुझे काफी हद तक अस्वस्थ किया है आपका यह प्रयास बहुत पसंद आया कथन और गेयता पर आप ध्यान देने लगी हैं तनिक श्रम की आवश्यकता और है. इस सुन्दर प्रयास पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें .
आदरणीया सरिता जी बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ रची हैं आपने! आपको हार्दिक बधाई!
जहाँ तक मुझे पता है कुंडलियों में एक विशेषता होती है- ये जिस शब्द से प्रारंभ होती है, उसी शब्द से इसका समापन होना चाहिए. इस लिहाज़ से आपकी कुण्डलियाँ 'जीवन' शब्द से समाप्त होनी चाहिए. वैसे आप स्वाम जानकर हैं.
अंतिम पंक्ति में गेयता बाधित है. कृपया इसे देख लें.
सादर!
आदरणीया सरिता जी , बहुत अच्छी कुंडलिया छन्द की रचना की है आपके !!!! बधाई !!!
आदरणीय रविकर sir आपकी उत्साहित टिप्पिनी से मन प्रसन्न हो गया
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