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सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले

1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2  2

चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सदा आवाम से पहले//


बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था
वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //


भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//

शहादत व्यर्थ उनकी यूँ नहीं अब तुम करा देना
नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//


वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम
सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले //

सनम जो देश को समझो तभी नजरे इनायत हो
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //

           .....................................
................मौलिक व अप्रकाशित...............

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Comment by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 2:26pm

आदरणीय वीनस जी हार्दिक आभार 

मैंने आवाम का प्रयोग दोनों तरह से देखा इस लिए लगा दिया वैसे मैंने अपनी मूल गजल में इसे संशोधित कर लिया है मार्गदर्शन करते रहें 

Comment by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 2:24pm

आदरणीय ब्रिजेश जी ,आदरणीया महिमा श्री जी ,आदरणीया कुंती जी, आदरणीय गीत जी, आदरणीय सचिन जी सबकी तह दिल से आभारी हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 2:22pm

आदरणीय सुशील जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 2:21pm

आदरणीय कपीश जी ,डॉ अनुराग जी ,अन्नपूर्णा जी हार्दिक आभारी हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 2:18pm

आदरणीया मीना पाठक जी ,गीता जी स्नेह बनाए रखें 

Comment by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 2:17pm

आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक अभिनन्दन

जी अरुण के इंगित किए अशआर में बदलाव कर दिया है 

Comment by Sachin Dev on October 5, 2013 at 2:50pm

आदरणीया सरिता जी.... एक - एक अल्फाज जेहन मैं बसने वाला लिखा आपने .... हार्दिक बधाई आपको आपकी इस अनुपम कृति के लिए ! 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 11:43am

भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//......बहुत पसंदीदा शेर

बहुत सुंदर गजल , बधाई आदरणीया सरिता जी

Comment by coontee mukerji on October 5, 2013 at 1:00am

वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम
सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले //............बहुत सुंदर विचार. 

Comment by वीनस केसरी on October 4, 2013 at 11:12pm

अच्छी ग़ज़ल कही है आदरणीया

हार्दिक बधाई

एक बात कहना है कि शब्द आवाम २२१ नहीं होता अवाम १२१ होता है  इसे आपको बदलना होगा ....

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