For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sachin Dev
  • India
Share on Facebook MySpace

Sachin Dev's Friends

  • सतविन्द्र कुमार राणा
  • वेदिका
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • मिथिलेश वामनकर
 

Sachin Dev's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Jhansi ( U.P.)
Native Place
Jhansi
Profession
Service
About me
Great lover of Hindi sahitya

 

 

 

Sachin Dev's Blog

बिगडती बात ( गजल )

१२२२    /    १२२२   /  १२२२   /   २२२ 

.

जमी जो बर्फ रिश्तों पे  पिघल जाये तो अच्छा है 

बिगड़ती बात बातों से सँभल जाये तो अच्छा है 

 

हमारी याद जब आये शहद यादों में घुल जाये

छिपी जो दिल में कडवाहट निकल जाये तो अच्छा है  

 

तमन्ना  चाँद पाने की बुरी होती नही लेकिन

जमीं से देखकर ही दिल बहल जाये तो अच्छा है

 

मुकद्दर में मुहब्बत के लिखी हैं ठोकरें ही जब 

गमों से पेशतर ये दिल सँभल जाये तो अच्छा…

Continue

Posted on September 26, 2016 at 3:00pm — 4 Comments

हिसाब ( गजल )

 

 1212         1122      1212     22

 

               हिसाब ( गजल )

----------------------------------------------------

खुदा के सामने सबका हिसाब होता है

हरेक शख्स वहां बे-नकाब होता है  

 

अगर सवाल कोई है तो पूछ ले रब से

कि उसके पास तो सबका जवाब होता है

 

बिछे हों राह में कांटे अगर तो डर कैसा 

इन्हीं के बीच में खिलता गुलाब होता है

 

धरम के नाम पे मिलकर रहें तो अच्छा है

धरम…

Continue

Posted on February 4, 2016 at 1:30pm — 8 Comments

नारी ( चंद दोहे )

भूले से मत कीजिये, नारी का अपमान 

नारी जीवन दायिनी, नारी है वरदान             II 1 II

 

माँ बनकर देती जनम, पत्नी बन संतान

जीवन भर छाया करे, नारी वृक्ष समान      II 2 II

 

नारी भारत वर्ष की, रखे अलग पहचान

ले आई यमराज से, वापस पति के प्रान     II 3 II

 

नारी कोमल निर्मला,  होती फूल समान

वक्त पड़े तो थाम ले, बरछी तीर कमान    II 4 II

 

नारी के अंतर बसे, सहनशीलता आन

ये है मूरत त्याग की, नित्य करे बलिदान   II…

Continue

Posted on July 20, 2015 at 2:30pm — 13 Comments

ज़माना (ग़ज़ल)

1222 /  1222  /1222 / 1222

--------------------------------------------------

जमाना बाज कब आता है हमको आजमाने से

न हो जाना कहीं जख्मी कभी इसके निशाने से  

       

हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने 

कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से 

 

करे जो बात दुनिया की उसी की लोग सुनते हैं

किसी को वास्ता कैसा भला तेरे फसाने से 

 

कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का

लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने…

Continue

Posted on July 6, 2015 at 3:00pm — 22 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:02am on July 19, 2015, kanta roy said…
तहे दिल से आभार आपको सचिन जी
At 5:26pm on October 9, 2013, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

स्वागत है सस्नेह 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service