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हिसाब ( गजल )
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खुदा के सामने सबका हिसाब होता है
हरेक शख्स वहां बे-नकाब होता है
अगर सवाल कोई है तो पूछ ले रब से
कि उसके पास तो सबका जवाब होता है
बिछे हों राह में कांटे अगर तो डर कैसा
इन्हीं के बीच में खिलता गुलाब होता है
धरम के नाम पे मिलकर रहें तो अच्छा है
धरम के नाम पे लड़ना खराब होता है
हमारे मुल्क ने अब्दुल हमीद को जन्मा
तुम्हारे मुल्क में अजमल कसाब होता है
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( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आ. भाई मिथलेश वामनकर जी गजल पर आपकी उपस्तिथि और अनुशंषा से बहुत उत्साहवर्धन हुआ साथ ही आ. समीर जी के सुझावों को गजल मैं आत्मसात करने का प्रयास रहेगा ! हार्दिक धन्यवाद आपका !
आ. भाई सतविंदर कुमार जी आपका हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए !
आ. समीर कबीर जी गजल पर आपका प्रोत्साहन पाकर बहुत प्रसन्नता हुई और गजल मैं सुधार बाबत आपके बहुमूल्य सुझावों को दिल से स्वीकार करते हुए आपका हार्दिक आभार , ऐसे ही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की अपेक्षा सहित !
आ. नादिर खां साहब गजल पर आपके प्रोसाहन के लिए हार्दिक आभार आपका !
शानदार जानदार जबरदस्त
आदरणीय सचिन भाई जी, कमाल की ग़ज़ल हुई है, बस उस्ताद जी की इस्लाह पर गौर कीजिये, ग़ज़ल लाजवाब हो जायेगी. इस ग़ज़ल पर दिल से दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर
हमारे मुल्क ने जन्मा हमीद अबदुल को
तुम्हारे मुल्क में अजमल कसाब होता है.....
आदरणीय सचिन जी बहुत खूब कहा सच भी है, मिट्टी मिट्टी में फर्क बेहिसाब होता है |
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