भूले से मत कीजिये, नारी का अपमान
नारी जीवन दायिनी, नारी है वरदान II 1 II
माँ बनकर देती जनम, पत्नी बन संतान
जीवन भर छाया करे, नारी वृक्ष समान II 2 II
नारी भारत वर्ष की, रखे अलग पहचान
ले आई यमराज से, वापस पति के प्रान II 3 II
नारी कोमल निर्मला, होती फूल समान
वक्त पड़े तो थाम ले, बरछी तीर कमान II 4 II
नारी के अंतर बसे, सहनशीलता आन
ये है मूरत त्याग की, नित्य करे बलिदान II 5 II
नारी को मत मानिये, दुर्बल अबला-जान
दुर्गा काली कालिका, नारी है तूफ़ान II 6 II
युगों-युगों से ये जगत, ठहरा पुरुष प्रधान
कदम-कदम पर रोकता, नारी का उत्थान II 7 II
जितना गाओ कम लगे, नारी का गुणगान
जी चाहे कण-कण करे, नारी का सम्मान II 8 II
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( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
नारी पर केन्द्रित सुंदर दोहे लिखे है आपने आदरणीय सचिन जी | हार्दिक बधाई |
आ. महर्षि त्रिपाठी जी आपका हार्दिक आभार !
आ. श्री सुनील जी आपका हार्दिक आभार ....... प्रोत्साहन के लिए !
नारी को मत मानिये, दुर्बल अबला-जान
दुर्गा काली कालिका, नारी है तूफ़ान ,,,,बहुत खूब ,आ. Sachin Dev जी |
आ. राहुल दांगी जी आपका हार्दिक आभार ....
आदरणीय गिरिराज जी, सदा की तरह दोहों पर आपका प्रोत्साहन पाकर हार्दिक प्रसन्नता हुई ! साथ ही एक दोहे मैं व्याप्त त्रुटि की ओर ध्यानाकर्षण कराने के लिए ह्रदय से आभार ! उस दोहे मैं सुधार का प्रयास करता हूँ ! सादर धन्यवाद !
आदरणीय राजेश कुमारी जी, आपका हार्दिक आभार दोहे - पसंद करने और उन पर उत्साहवर्धन के लिए !
आदरणीया सचिन भाई , नारी पर आपसे सभी दोहे बहुत अच्छे लगे , हार्दिक बधाई आपको । 6 नबर के दोहे मे जानिये और जान एक साथा सही नही लग रहा है । देख लीजियेगा
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