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जमाना बाज कब आता है हमको आजमाने से
न हो जाना कहीं जख्मी कभी इसके निशाने से
हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने
कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से
करे जो बात दुनिया की उसी की लोग सुनते हैं
किसी को वास्ता कैसा भला तेरे फसाने से
कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का
लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से
शिकायत लाख तुम रखना दिलों में दोस्त तुम मेरे
मैं दिल को जीत ही लूँगा मुहब्बत के तराने से
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( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय सौरभ जी, आपका हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए !
आपकी ग़ज़ल केलिए हार्दिक बधाई सचिन भाई..
हौसला अफजाई का हार्दिक शुक्रिया भाई राहुल दांगी जी.............
आदरणीय श्री सुनील जी आपका हार्दिक आभार ......
आपका हार्दिक आभार आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी.......
कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का
लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से-----------------स चिन भाई , लाजवाब
आ. भाई कृष्ण मिश्रा जी ....... गजल पर आपका प्रोत्साहन पाकर प्रसन्नता हुई...... आपका हार्दिक आभार !
आदरणीय जे एल सिंह जी..... गजल आपको पसंद आई इसके लिए आपका हार्दिक आभार .... काफी दिनों के बाद आपको अपनी पोस्ट पर पाकर बेहद सुखानुभूति हो रही है ...... ऐसे ही स्नेह बनाए रखें .....
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